ETV Bharat / city

Pitru Paksha 2021: यहां भगवान शिव को मिली थी ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति, ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से मिलता है मोक्ष

author img

By

Published : Sep 27, 2021, 7:34 AM IST

Pitru Paksha 2021
Pitru Paksha 2021

श्राद्ध पक्ष जारी है. ऐसे में देवभूमि के विभिन्न हिस्सों से लोग अपने पितरों को तर्पण करने के लिए पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि ब्रह्मकपाल में विधि पूर्वक पिंडदान करने से पितरों को नर्क लोक से मोक्ष मिल जाता है.

नई दिल्ली/देहारदून(चमोली): बदरीनाथ धाम में अलकनंदा के तट पर स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ का विशेष महत्व है. यहां पर देश-विदेश से हर साल हजारों श्रद्धालु अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान और तर्पण करने पहुंचते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी लिए बदरीनाथ धाम को मोक्ष धाम के नाम से भी जाना जाता है.

शास्त्रों में वर्णन है कि यहां पर पिंडदान और तर्पण करने के बाद फिर कहीं पिंडदान और तर्पण नहीं करना पड़ता है. यहां पर पिंडदान और तर्पण करने से बिहार के गया से भी 8 गुणा फल की प्राप्ति होती है.

ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से पितरों को मिलता है मोक्ष

ये है कहानीः धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी स्थान पर भगवान शंकर को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी. ब्रह्मा जी का पांचवां सिर भगवान शंकर के त्रिशूल पर चिपक गया था. भगवान शिव ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए कई तीर्थो में घूमे, लेकिन उन्हें कहीं मुक्ति नहीं मिली. अंत में भगवान शंकर बदरीनाथ धाम पहुंचे और बदरीनाथ पहुंचते ही ब्रह्मा जी का पांचवां सिर छिटक गया और भगवान शंकर को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली.

ये भी पढ़ेंः श्रद्धालु देवप्रयाग के संगम में पितरों का कर रहे तर्पण, श्रीराम ने पिता का यहीं किया था पिंडदान

8 गुना फलदायी तीर्थः इसलिए बदरीनाथ धाम में ब्रह्मा का सिर पाषाण पर होने से ब्रह्मकपाल तीर्थ कहलाया. यहां पर पके हुए चावल पितरों को प्रदान किए जाते हैं. पवित्र श्राद्ध पक्ष शुरू होते ही बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल में देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. ब्रह्मकपाल में पितरों को पिंडदान का विशेष महत्व है. स्कंद पुराण में इस पवित्र स्थान को बिहार के गया से 8 गुना अधिक फलदायी तीर्थ कहा गया है. हालांकि, वैश्विक महामारी कोरोना के चलते सीमित संख्या में श्रद्धालु धाम में पहुंच रहे हैं.

तर्पण के दौरान करें क्षमा याचनाः पितरों के तर्पण के दौरान क्षमा याचना अवश्य करें. किसी भी कारण हुई गलती या पश्चाताप के लिए आप पितरों से क्षमा मांग सकते हैं. पितरों की तस्वीर पर तिलक कर रोजाना नियमित रूप से संध्या के समय तिल के तेल का दीपक अवश्य प्रज्वलित करें, साथ ही अपने परिवार सहित उनके श्राद्ध तिथि के दिन क्षमा याचना कर गलतियों का प्रायश्चित कर अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः Pitru Paksha 2021 : जानिए पितरों के पूजन की खास विधि और तिथियां

इन बातों का रखें ख्यालः पितृपक्ष में अपने पितरों के श्राद्ध के दौरान विशेष तौर पर ख्याल रखने की जरूरत है. जब आप श्राद्ध कर्म कर रहे हों तो कोई उत्साहवर्धक कार्य नहीं करें. घर में कोई शुभ कार्य नहीं करें. इसके अलावा मांस, मदिरा के साथ-साथ तामसी भोजन का भी सेवन परहेज करें. श्राद्ध में पितरों को नियमित भावभीनी श्रद्धांजलि का समय होता है, परिवार के प्रत्येक सदस्य द्वारा दिवंगत आत्मा हेतु दान अवश्य करें. जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन और वस्त्र का दान करें.

वायु पुराण के अनुसारः नारायणी शिला मंदिर के बारे में कहा जाता है कि गयासुर नाम का राक्षस देवलोक से भगवान विष्णु यानी नारायण का श्री विग्रह लेकर भागा था. भागते हुए नारायण के विग्रह का धड़ यानी मस्तक वाला हिस्सा बदरीनाथ धाम के बह्मकपाली नाम के स्थान पर गिरा. उनके कंठ से नाभि तक का हिस्सा हरिद्वार के नारायणी मंदिर में गिरा, जबकि चरण गया में गिरा. जहां नारायण के चरणों में गिरकर ही गयासुर की मौत हो गई. यानी वहीं, उसको मोक्ष प्राप्त हुआ था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.