नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपी की उस याचिका को खारिज कर दी है, जिसमें उसने पुलिस पर जांच के नाम पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने कहा कि आरोपी पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर अग्रिम जमानत चाहता है.
याचिका शेख इशराफिल ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि जांच के नाम पर पुलिस बार-बार याचिकाकर्ता के घर आ धमकती है और उसे और उसके परिवार के सदस्यों को प्रताड़ित करती है. उन्होंने कहा कि 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी में जो घटना घटी थी, उसमें पुलिस याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को फंसाना चाहती है. याचिकाकर्ता के पिता का देहांत 14 अप्रैल को हुआ था, जिनका तीजा 16 अप्रैल को 12 बजे दिन में रखा गया था. तीजा में करीब पांच सौ लोगों को बुलाया गया था. उस दिन शाम को रोजा इफ्तार का भी आयोजन किया गया था. लेकिन दुर्भाग्य से 16 अप्रैल को ही शाम छह बजे हिंसा की घटना घटी. 17 अप्रैल को सुबह तीन बजे जहांगीरपुरी थाने की पुलिस उनके घर पहुंची और याचिकाकर्ता के सबसे बड़े बेटे को उठाकर ले गई.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस देश का नागरिक होने के नाते ये उसका मौलिक अधिकार है कि वो भयमुक्त होकर गरिमा के साथ जीवनयापन करे. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील राजेश महाजन ने स्टेटस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस केवल जहांगीरपुरी हिंसा की जांच कर रही है. घटना वाले दिन इंस्पेक्टर राजीव रंजन और उनका स्टाफ हनुमान जयंती के मौके पर निकले जुलूस की सुरक्षा बंदोबस्त में लगा था. शाम को छह बजे अंसार नामक एक व्यक्ति आया और जुलूस में शामिल लोगों से बहस करने लगा. उसके कई सहयोगी वहां पहुंचे और बहस में शामिल हो गए. इसके बाद पत्थरबाजी शुरु हो गई भगदड़ मच गई. स्थिति को काबू में करने के लिए अतिरिक्त बल को बुलाना पड़ा. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के 52 गोले छोड़ गए. इस घटना में आठ पुलिस अधिकारी जख्मी हुए थे.
ये भी पढ़ें : जहांगीरपुरी हिंसा के आरोपी बाबूदीन की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस
घटना के बाद जहांगीरपुरी थाने में इंस्पेक्टर राजीव रंजन के बयान के आधार पर एफआईआर नंबर 440 दर्ज किया गया था. दिल्ली पुलिस ने कहा कि जांच के दौरान कई लोगों से पूछताछ की जा रही है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक याचिकाकर्ता हिंसा के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है और वो जांच से भागना चाहता है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस याचिका की आड़ में याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत पाना चाहता है. जो कानून में संभव नहीं है.