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नेहरू प्लेस में फायर विभाग की मॉक ड्रिल रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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Published : Feb 7, 2022, 10:08 PM IST

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दिल्ली हाईकोर्ट ने नेहरू प्लेस इलाके में फायर विभाग की ओर से किए गए मॉक ड्रिल की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया है. जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने नेहरू प्लेस इलाके में फायर विभाग की ओर से किए गए मॉक ड्रिल की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दिया है. जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं. याचिका मानुषी संगठन ने दायर किया था. यह संगठन 67 हॉकर्स और वेंडर का प्रतिनिधित्व करती है.

मॉक ड्रिल रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न एजेंसियों को नेहरू प्लेस पहुंचने में काफी समय लगा, क्योंकि पहुंचने के रास्ते में काफी बाधा थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि पैदल चलने वाले लोग काफी ज्यादा थे और ट्रैफिक काफी ज्यादा थी. इस बाधा में हॉकर्स और पार्किंग की समस्या का खासा योगदान था. रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है कि नेहरू प्लेस इलाके को हॉकर मुक्त जोन बनाया जाए. याचिका में कहा गया था कि फायर विभाग की मॉक ड्रिल की रिपोर्ट भरोसे के लायक नहीं है. आग लगने वाले दिन फायर विभाग का दल फायर स्टेशन से चलने के एक मिनट बाद पहुंच गया था. ऐसे में मॉक ड्रिल की रिपोर्ट सरकारी एजेंसियों और व्यापारियों की ओर से हॉकर्स को हटाने की कोशिश है. तब जस्टिस मनमोहन ने कहा कि संस्थाएं निष्पक्ष रूप से काम करती हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप न्यायपालिका पर भरोसा रखें.


24 अगस्त 2021 को कोर्ट ने फायर विभाग को निर्देश दिया था कि वो नेहरू प्लेस इलाके में किसी कार्य दिवस पर मॉक ड्रिल करें. जहां हाल ही में आगजनी की घटना हुई थी. कोर्ट ने कहा था कि मॉक ड्रिल से कमियों का पता चलेगा. कोर्ट ने कहा था कि मॉक ड्रिल के बाद दिल्ली फायर सेवा की अनुशंसाओं और सुझावों पर विशेषज्ञ समिति विचार करेगी.



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दरअसल 12 अगस्त 2021 को नेहरू प्लेस के एक भवन में लगी आग पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी. कोर्ट ने कहा था कि भले ही कोई मौत नहीं हुई, लेकिन इस आगजनी से संबंधित जो वीडियो सोशल मीडिया में आए. उन्हें देखने से साफ है कि अग्निशमन दल को उस भवन में जाने में काफी कठिनाई हुई थी. पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि नेहरू प्लेस का इलाका सभी अतिक्रमणों से मुक्त होना चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया था कि वो रोजाना ये सुनिश्चित करें कि नेहरू प्लेस इलाके में बिना किसी वैध आदेश के कोई हॉकर या ठेला न लगे. सुनवाई के दौरान दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की ओर से वकील दिव्य प्रकाश ने कहा था कि वो रोजाना अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जा रहा है. दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से पेश वकील अर्जुन पंत ने कहा था कि इस मामले पर नजर रखने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. जिसमें डीडीए के चीफ इंजीनियर, दक्षिण पूर्व दिल्ली के डीसीपी और डीसीपी ट्रैफिक शामिल हैं.

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