नई दिल्लीः दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से धर्म विशेष के खिलाफ नारेबाजी करने के मामले में भूपेंद्र तोमर ऊर्फ पिंकी चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज अनिल अंतिल ने कहा कि हमारा देश तालिबान नहीं है. यहां कानून का शासन है, जहां बहुसांस्कृतिक समाज के लोग रहते हैं.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. वहीं, कुछ लोग असहिष्णु और स्वकेंद्रित विश्वास पर टिके हुए हैं. आरोपी के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि आरोपी संबंधित अपराध में शामिल था. इतिहास अछूता नहीं है, जहां ऐसी घटनाओं ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काया है. जिससे दंगे हुए हैं और आम जनता के जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है.
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कोर्ट ने मामले में टिप्पणी की कि भले ही संविधान की धारा 19 (1) (ए) मौलिक अधिकार है, लेकिन वो शांति और सौहार्द बनाये रखने की हद तक सीमित है. अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में आरोपी को संवैधानिक मूल्यों को नष्ट करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट में पेश किए गए वीडियो और उसके ट्रांसक्रिप्ट से साफ था कि आरोपी का इंटरव्यू सांप्रदायिक और धमकी से भरा हुआ था. ये इंटरव्यू दूसरे समुदाय के प्रति घृणा पैदा करने के उद्देश्य से दिया गया था.
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बता दें कि 12 अगस्त को कोर्ट ने इस मामले के तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने जिन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की थी, उनमें दीपक सिंह, प्रीत सिंह और विनोद शर्मा शामिल हैं. इन आरोपियों को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले में कोर्ट ने 11 अगस्त को वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस ने 9 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय और बाकी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के बाद 10 अगस्त को सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने मामले में 9 अगस्त को FIR दर्ज की थी. बता दें कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर भारत जोड़ो आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया था. इसमें धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी की गई थी.