नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, कोमोरबिड पेशेंट एवं डॉक्टर्स समेत सभी हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन के दोनों डोज (Health care workers get both doses vaccine) लेने के अलावा प्रिकॉशन डोज (Precaution Dose of vaccine) लेने की बात कही है. इसकी मांग हेल्थकेयर वर्कर्स (Health care workers) कर रहे थे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (cm arvind kejriwal) ने भी बूस्टर डोज की मांग (booster dose demand) केंद्र सरकार से की थी. अब प्रधानमंत्री के घोषणा के बाद प्रिकॉशन डोज भी दिया जाने लगेगा, जिसे बूस्टर डोज भी कहा जाता है. क्या बूस्टर डोज की जरूरत है ? क्या बूस्टर डोज लेने के बाद कोरोना से पक्की सुरक्षा मिल जाएगी ? इसके बाद कोई और दवा या वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी ? क्या वैक्सीन महामारी से निपटने के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए ? वैक्सीन के बढ़ते डोज की वजह से क्या महामारी जल्दी समाप्त हो पाएगी ? इन सब सवालों को लेकर एक कन्फ्यूजन की स्थिति बनी है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि वैक्सीन (Corona Vaccination in Delhi) किसी भी बीमारी या महामारी की पहली प्राथमिकता नहीं है. पहली प्राथमिकता इससे बचाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी यही कहा है. वैक्सीन दूसरी प्राथमिकता होनी चाहिए. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव एवं वैक्सीन इंडिया के अध्यक्ष अजय गंभीर मानते हैं कि बचाव ही इलाज का उत्तम तरीका है. वैक्सीन पहली प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए.
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डॉ. अजय गंभीर ने विश्व स्वास्थ संगठन (WTO) के हवाले से कहा कि वैक्सीन को जरूरत से अधिक इस्तेमाल करने से महामारी का काल अधिक लंबा होगा, क्योंकि वायरस में अपना रूप बदलने की प्रवृत्ति होती है. जैसे ही इसे वैक्सीन से कोई खतरा मालूम पड़ता है, वह अपना एक नया रूप बना लेता है. ताकि वह वैक्सीन के असर से बचा रहे. यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. इस पर कोई भी वैक्सीन कारगर साबित नहीं हो सकता. बार-बार वैक्सीन में बदलाव करना होगा और जितनी बार बदलाव करेंगे उतनी ही बार वायरस अपना रूप बदलेगा.
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कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं. अब इसके बूस्टर डोज (booster dose for corona) की भी बात हो रही है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रिकॉशन डोज के रूप में वल्नरेबल ग्रुप को देने की बात कही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष ने वैक्सीन के ओवर यूज पर चिंता जाहिर की है. उनकी चिंता वजीब भी है, क्योंकि दुनिया भर से आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास आता है, जिसकी स्टडी करने के बाद ही किसी नतीजे पर विश्व स्वास्थ संगठन के चीफ पहुंचते हैं. डॉ. अजय गंभीर बताते हैं कि अगर हमें कोरोना महामारी पर विजय प्राप्त करनी है तो सभी कोरोना प्रोटोकोल का सख्ती से पालन करने के साथ-साथ वैक्सीन के न्यायोचित इस्तेमाल भी करना होगा. इसके अधिक इस्तेमाल पर नियंत्रण रखना होगा.
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