ETV Bharat / city

कोरोना संक्रमण से बचने के लिये आई नई दवाई, फिर भी क्या बच पाओगे भाई !

author img

By

Published : Dec 27, 2021, 4:59 PM IST

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर (company pfizer) ने भी एक पैक्स लोविड नामक दवाई (medicine called pax lovid) बनाई है. इसमें दो एंटीवाइरल दवाइयों का कॉम्बिनेशन होता है जो वायरल इन्फेक्शन से निपटने में काफी प्रभावी साबित हुआ है. इसके अलावा एस्ट्रेजेनिका ने भी एवोशील्ड नामक इंजेक्शन बनाया है, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन की तरह ही किया जा सकता है.

new medicines to combat with new Corona virus protection in delhi
new medicines to combat with new Corona virus protection in delhi

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण (Corona infection) से निपटने के लिये वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर ने भी एक पैक्स लोविड नामक दवाई (Pax Lovid Medicine) बनाई है. इसमें दो एंटीवाइरल दवाइयों का कॉम्बिनेशन है, जो वायरल इन्फेक्शन से निपटने में काफी प्रभावी साबित हुआ है. इसके अलावा एस्ट्रेजेनिका ने भी एवोशील्ड नामक इंजेक्शन बनाया है, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन की तरह ही किया जा सकता है.


वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर ने भी एक पैक्स लोविड नामक दवाई बनाई है. इसमें दो एंटीवायरल दवाइयों का कॉम्बिनेशन होता है, जो वायरल इन्फेक्शन से निपटने में काफी प्रभावी साबित हुआ है. इसके अलावा एस्ट्रेजेनिका ने भी एवोशील्ड नामक इंजेक्शन बनाया है, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन की तरह ही किया जा सकता है.

कोरोना संक्रमण से बचने के लिये आई नई दवाई, फिर भी क्या बच पाओगे भाई !
विशेषज्ञ मानते हैं कि परेशानी इसलिये भी है कि इसे नियंत्रित करने के लिये दुनिया भर में बनी वैक्सीन भी प्रभावहीन हो रही है. इसके बदलते रूपों को नियंत्रित करने के लिये उतनी बार वैक्सीन निर्माता कंपनियों को भी इसमें बदलाव करने का दबाव बढ़ रहा है. लेकिन सवाल यह है कि बदलाव कितनी बार किया जा सकता है ? वायरस तो खुद को वैक्सीन से बचाने के लिये हर बार अपना रूप तो बदलेगा ही. तो क्या उतनी बार ही वैक्सीन को भी बदलना पड़ेगा ? अभी प्रधान मंत्री ने बूस्टर डोज देने की बात कही है, जिसे बुजुर्ग, किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग एवं फ्रंट लाइन वर्कर्स को 10 जनवरी से दिया जायेगा.
क्या बूस्टर डोज प्रभावी होगा ? क्या उसके बाद कोरोना संक्रमण नहीं होगा ? विशेषज्ञ मानते हैं कि वायरल इन्फेक्शन को खत्म नहीं किया जा सकता है. स्वयं एम्स के कम्युनिटी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिये वैक्सीन पर निर्भरता के लिए चिंता जाहिर की है, जो भारत बॉयोटेक और एस्ट्रिजेनिका के कोवैक्सीन का एम्स में ह्यूमन ट्रायल का संयोजक रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वैक्सीन से कोरोना वायरस को कंट्रोल नहीं किया जा सकता. यह ज्यादा से ज्यादा इससे होने वाली मृत्यु की संख्या को कम कर सकती है. वैक्सीन का चाहे कोई भी डोज क्यों न लिया जाय यह कोरोना इन्फेक्शन को नहीं रोक सकता. तो सवाल यह है कि जब वैक्सीन लेने के बावजूद संक्रमण को नहीं टाला जा सकता. तो क्या करना चाहिए ?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना इन्फेक्शन से प्रभावी तरीके से निपटने के लिये दुनिया भर में वायरल दवाइयां और इंजेक्शन बनने लगे हैं. सबसे पहले इंग्लेंड में एक दवाई बनी है. जिसे कोविड इन्फेक्शन के इलाज के लिये अप्रूवल दी गई है. अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर ने भी एक पैक्सलोविड नामक दवाई बनाई है. इसमें दो एंटीवाइरल दवाइयों का कॉम्बिनेशन होता है. जो वायरल इन्फेक्शन से निपटने में काफी प्रभावी साबित हुआ है. डॉ अमरिंदर झा बताते हैं कि पैक्सलोविड कोरोना संक्रमित मरीजों पर कारगर साबित होती है क्योंकि इस दवाई की जो मैकेनिज्म एक्शन है वह स्पाइक प्रोटीन पर काम नहीं करती है. उससे हटकर काम करता है. इससे फायदा यह होता है कि वायरस चाहे जितनी बार भी यह अपना रूप बादल लें. इससे उस दवाई के एक्शन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उस दवाई के प्रभाव से वायरस निष्क्रिय हो जायेगा.
यह भी पढ़ें- Covid19: पैसिफिक मॉल में उमड़ा जनसैलाब, वीडियो वायरल


डॉक्टर अमरिंदर बताते हैं कि यह दवाई आपको ओवर द काउंटर भी मिल सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि आपको हॉस्पिटल में ही एडमिट होना पड़े. अगर आपका डॉक्टर इस दवाई को प्रिसक्राइब करता है तो आप इसे किसी भी केमिस्ट शॉप में खरीद सकते हैं.


डॉ अमरिंदर ने बताया कि कोरोना महामारी के बीच एक और अच्छी खबर यह है कि एस्ट्रेजेनिका कंपनी ने "एवोशील्ड" नामक इंजेक्टबल दवाई बनाई है. यह इंजेक्शन एक मोनोक्लोरल एंटीबॉडी है. इस इंजेक्शन के अंदर दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का कॉम्बिनेशन है. अच्छी बात यह है कि इस इंजेक्शन का इस्तेमाल वैक्सीन की तरह प्री एक्स्पोज़र के रूप में किया जा सकता है. एहतियात के तौर पर यह इंजेक्शन लिया जा सकता है. इस इंजेक्शन का केवल एक डोज ही लेने की जरूरत होती है और उसके बाद छह महीने से लेकर एक साल तक कोरोना वायरस से सुरक्षा मिल जाती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.