नई दिल्ली : NDMC के साढ़े चार हजार कर्मी रविवार को जंतर-मंतर पर उनको स्थायी किये जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए. उनकी इस मांग और धरना-प्रदर्शन पर कांग्रेस नेता और पूर्व निगम पार्षद भी उनका समर्थन करते नजर आए. 4500 NDMC कर्मी उनके जॉब को स्थायी करने की मांग को लेकर यहां धरने पर बैठे हुए हैं.
इनका आरोप है कि जब 14 हजार एमसीडी कर्मियों को स्थायी कर दिया गया, तो फिर इनको स्थायी क्यों नहीं किया जा रहा है. इनकी इस मांग और धरने को समर्थन कर रहे दिल्ली कैंट के पूर्व निगम पार्षद और कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान NDMC कर्मी अपनी जान दांव पर लगा कर लोगों की सेवा में लगे रहे. फिर भी ना तो उनको स्थायी किया जा रहा है और न ही पूरा भुगतान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि NDMC देश की सबसे धनी नगर पालिका है और MCD में सबसे कम फंड है. बावजूद इसके MCD ने 14 हजार कर्मियों को स्थायी कर दिया है, जबकि NDMC कर्मियों के वेतन को भी काटा जा रहा है और समय पर उन्हें भुगतान भी नहीं मिलता है.
NDMC के 4500 RMR कर्मचारी धरने पर, स्थायी करने की मांग
NDMC के 4500 RMR कर्मचारियों ने रविवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया. उन्होंने स्थायी किए जाने की मांग की. उनका कहना है कि जब 14 हजार एमसीडी कर्मियों को स्थायी कर दिया गया, तो फिर इनको स्थायी क्यों नहीं किया जा रहा है.
नई दिल्ली : NDMC के साढ़े चार हजार कर्मी रविवार को जंतर-मंतर पर उनको स्थायी किये जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए. उनकी इस मांग और धरना-प्रदर्शन पर कांग्रेस नेता और पूर्व निगम पार्षद भी उनका समर्थन करते नजर आए. 4500 NDMC कर्मी उनके जॉब को स्थायी करने की मांग को लेकर यहां धरने पर बैठे हुए हैं.
इनका आरोप है कि जब 14 हजार एमसीडी कर्मियों को स्थायी कर दिया गया, तो फिर इनको स्थायी क्यों नहीं किया जा रहा है. इनकी इस मांग और धरने को समर्थन कर रहे दिल्ली कैंट के पूर्व निगम पार्षद और कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान NDMC कर्मी अपनी जान दांव पर लगा कर लोगों की सेवा में लगे रहे. फिर भी ना तो उनको स्थायी किया जा रहा है और न ही पूरा भुगतान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि NDMC देश की सबसे धनी नगर पालिका है और MCD में सबसे कम फंड है. बावजूद इसके MCD ने 14 हजार कर्मियों को स्थायी कर दिया है, जबकि NDMC कर्मियों के वेतन को भी काटा जा रहा है और समय पर उन्हें भुगतान भी नहीं मिलता है.