नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का चुनाव मुहाने पर खड़ा है. आगामी रविवार यानी 22 अगस्त को कमेटी के चुनाव के लिए सिख मतदाता वोट डालेंगे. इससे पहले मंगलवार को चुनाव मैदान में उतरी पार्टी एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने मंगलवार को चुनाव आयोग से शिरोमणि अकाली दल की राजनीतिक मान्यता रद्द कर देने की मांग की है. मनजीत सिंह जीके का दावा है कि शिरोमणि अकाली दल दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनावों में अपने सभी उम्मीदवारों को पार्टी के आधिकारिक लेटर हेड पर चुनाव लड़ने की इजाजत दे रहा है. यानी वह मान रहा है कि शिरोमणि अकाली दल एक धार्मिक दल है. जीके ने मांग की है कि शिरोमणि अकाली दल जब अपने को धार्मिक दल मान रही है तो इसकी राजनीतिक दल के रूप में मान्यता खत्म होनी चाहिए.
चुनाव आयोग अगर इस संबंध में कोई निर्णय लेता है तो शिरोमणि अकाली दल पंजाब या अन्य राज्यों में राजनीतिक दल के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकता है. शिरोमणि अकाली दल या कोई भी धार्मिक पार्टी राजनीतिक चुनाव नहीं लड़ सकती. मंगलवार को जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके मुख्य चुनाव आयुक्त से मिले. उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराई. साथ ही कहा कि नियमों से कोई भी ऊपर नहीं है.
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जीके ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में गुरु की गोलक का इस्तेमाल कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी कर रहा है. यही कारण है कि पंजाब में दूसरे धर्मों का विस्तार हो रहा है, जबकि सिख धर्म का न तो प्रचार हो पा रहा है और न ही गुरु की सेवा करने में किसी का ध्यान है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को उनकी शिकायत पर संज्ञान लेकर शिरोमणि अकाली दल की राजनीतिक मान्यता रद्द करनी होगी.
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बता दें कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा एक्ट 1971 के संशोधित नियम 14 के मुताबिक कोई भी राजनीतिक दल गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव नहीं लड़ सकता. इसके लिए धार्मिक दल होना जरूरी है. साथ ही इस दल का आम चुनावों से कम से कम 1 साल पहले दिल्ली सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होना भी अनिवार्य है. पिछले दिनों शिरोमणि अकाली दल बादल खेमे के कमेटी चुनाव लड़ने पर भी खूब विरोध हुआ था, लेकिन कोर्ट ने इसे लेकर गेंद गुरुद्वारा चुनाव निदेशक के पाले में डाल दी थी. इसी के बाद शिरोमणि अकाली दल को चुनाव लड़ने की इजाजत मिली थी.