नई दिल्ली : लोक संसद के पहले संस्करण का आयोजन 8 अप्रैल 2022 को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में होने जा रहा है. वीपी हाउस में सोमवार को प्रेस वार्ता करके इसकी जानकारी देते हुए लोक संसद के संरक्षक के.एन. गोविंदाचार्य ने बताया कि अंग्रेज 15 अगस्त 1947 को भारत छोड़कर चले गए. भारत को अपनी तासीर, तेवर व जरूरत के हिसाब से शासन-व्यवस्था करने और इसका संचालन करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ. देश ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुना और उसके संचालन के लिए संविधान को भी स्वीकार किया.
अब आजादी के 75 साल हो गए हैं. वक्त की जरूरत है कि आजाद भारत की इस यात्रा में हमने क्या-क्या पाया, क्या कुछ खोया, उसकी समीक्षा करें और वह भी अंतिम व्यक्ति के नजरिए से. देश का हर नागरिक जाति, क्षेत्र, भाषा, संप्रदाय व अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता से ऊपर उठकर भारत का जागरूक व संवेदनशील नागरिक बनकर समीक्षा भी करे और आगे की योजना तैयार करे. भारत को भारत के नजरिए से देखते हुए हम सबको योजना बनानी है.
उन्होंने कहा कि इसी मकसद से लोक संसद का गठन किया गया है. मैं भी उन सबके साथ हूं. एक सतत् प्रयास का नाम है, लोक संसद. यह पूरे देश व सभी जनता की आवाज बने. भारत की विरासत की जमीन का ख्याल भी रखे, लोकतंत्र की बुनियाद, विश्वास व संवाद की प्रक्रिया को इससे पुष्टि और ताकत मिले, यह अपेक्षा है. इस प्रयास में संपूर्ण समाज का लोक संसद हृदय से स्वागत करती है. यह प्रयास सबका अपना है, यह ध्यान रखें और इसे सशक्त बनाएं.
लोक संसद का 8 अप्रैल को सुबह 10 बजे उद्घाटन होगा. इसमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, राष्ट्रीय इमाम संघ के अध्यक्ष डॉ. इमाम उमैर अहमद इलियासी, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, गांधीवादी पीवी राजगोपाल और समाजवादी रघु ठाकुर समेत तमाम सम्मानित अतिथि मौजूद रहेंगे.
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इसके बाद सद्भाव संसद, समाज संसद और राज संसद के तौर पर क्रमशः तीन सत्र होंगे. हर सत्र में सत्र विशेष के विशेषज्ञ बतौर वक्ता अपनी बात रहेंगे. सद्भाव संसद में धार्मिक-आध्यात्मिक शख्सियतें होंगी. समाज संसद में समाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग बात करेंगे. राज संसद में राजनीतिक विचारक मौजूदा हालात की समीक्षा करेंगे. अंत में समापन सत्र होगा. इसमें दिन-भर की चर्चा से मुख्य बिंदुओं पर बात करके लोक संसद की भविष्य की कार्ययोजना भी बताई जाएगी.