नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में एक मामले की सुनवाई के दौरान ऐसा वाकया सामने आया जिसने मानवता का सिर ऊंचा कर दिया. माता-पिता के झगड़े में पिस रही दो बहनों की पढ़ाई की फीस ऑनलाइन सुनवाई में शामिल 10 वकीलों ने दी. सुनवाई करने वाले जज जस्टिस नाजिम वजीरी ने वकीलों की इस उदारता की सराहना की.
दरअसल, दो बेटियों की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वो वित्तीय संकट से गुजर रही है. महिला अपने पति से अलग रहती है. हाईकोर्ट ने इसके पहले बेटियों के पिता को निर्देश दिया था कि वो तीनों को गुजारे के लिए खर्चा दें, लेकिन पिता ने अपनी बेटियों की पढ़ाई की फीस तक नहीं दी. उसके बाद मां ने हाईकोर्ट में पिता के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की याचिका दायर की.
सुनवाई के दौरान बेटियों की मां ने कहा कि उनकी छोटी बेटी गाजियाबाद के एक संस्थान से लॉ की पढ़ाई कर रही है. उसके तीसरे वर्ष की फीस के लिए 10 जनवरी तक 75 हजार रुपये देने हैं. अगर 10 जनवरी तक उसकी फीस जमा नहीं की गई तो उसका एक साल बर्बाद हो जाएगा. बड़ी बेटी मैक्समूलर भवन, दिल्ली से जर्मन भाषा का सर्टिफिकेट कोर्स कर रही है, जिसकी फीस भरने के लिए 12 हजार 400 रुपये देने हैं.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दोनों बेटियों के पिता की तीस हजारी कोर्ट के पास एक बुक बाईंडिंग की दुकान है. पिता ने बताया कि दोनों बेटियों की फीस भरने के लिए उसके पास पैसे नहीं है, तब मां की ओर से कहा गया कि पिता का रुख बेटियों की पढ़ाई के प्रति ठीक नहीं रहा है और वे चाहते हैं कि बच्चियां कॉलेज से ड्रापआउट हो जाएं.
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ऑनलाइन सुनवाई के दौरान कई सारे वकील अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. उन वकीलों ने एक साथ दोनों लड़कियों की पढ़ाई की फीस भरने का ऑफर पेश किया. सुनवाई के दौरान वकील आशुतोष लोहिया ने लॉ पढ़ने वाली लड़की की फीस भरने का ऑफर किया. इसी तरह वकील प्रतीक सोम, सुदर्शिनी राय, आरजु खट्टर, रोहन दीवान, अभिक कुमार, कुणाल सभरवाल, कुमार प्रशांत. संजय कात्याल, निकिता मिश्रा, हनी खन्ना और संजय जैन ने मदद का भरोसा दिया.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि वकीलों ने एक लाख दो हजार 100 रुपये जमा कर दिए थे. उसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि वकीलों की ओर से जमा की गई रकम केवल लड़कियों की पढ़ाई में इस्तेमाल किया जाएगा.