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डीयू शतवर्ष उत्सवः जानिये दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्षाें का इतिहास

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Published : Apr 30, 2022, 9:14 PM IST

रविवार को दिल्ली विश्वविद्यालय 100 साल का हाे जाएगा. डीयू के साै साल का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. यहां हम आपकाे दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं. किन परिस्थितयाें में इस विश्वविद्यालय की नींव पड़ी, कहां से शुरुआत हुई और कैसे तीन कॉलेज से 90 कॉलेजाें का सफर तय किया.

डीयू शतवर्ष उत्सवः
डीयू शतवर्ष उत्सवः

नई दिल्लीः रविवार को 100 साल पूरे करने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय का इतिहास देश की राजधानी नई दिल्ली के इतिहास से जुड़ा हुआ है. दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना 1922 में ब्रिटिश भारत के तत्कालीन केंद्रीय विधान सभा के एक अधिनियम द्वारा एकात्मक, शिक्षण और आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी. हालांकि लॉर्ड इंचकेप की अध्यक्षता में सरकार द्वारा नियुक्त छंटनी समिति ने 1923 में सिफारिश की कि नई दिल्ली में एक विश्वविद्यालय की योजना पर पुनर्विचार किया जाए.

जिसमें कहा गया कि उत्तर में विश्वविद्यालय शिक्षा की कोई कमी नहीं होने की बात कही गई थी. जिसको लेकर कुलपति गौर और तीन कॉलेजों के प्राचार्यों, एफएफ मोंक (सेंट स्टीफंस), एनवी थडानी (हिंदू) और केदार नाथ (रामजस) ने इस सिफारिश का कड़ा विरोध किया. मार्च 1923 में इम्पीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली द्वारा इस प्रश्न का समाधान निकाला गया, तब बहुत बहस के बाद विश्वविद्यालय की रूपरेखा को जारी रखने के पक्ष में निर्णय लिया गया.

दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्षाें का इतिहास
ग्वायर को 'विश्वविद्यालय का निर्माता' कहा जाता हैः

हरि सिंह गौर ने1922 to 1926 तक विश्वविद्यालय के पहले कुलपति के रूप में कार्य किया. उस समय दिल्ली में केवल चार कॉलेज थे. 1881 में स्थापित सेंट स्टीफंस कॉलेज, 1899 में स्थापित हिंदू कॉलेज, जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज (तब जाना जाता था) दिल्ली कॉलेज के रूप में, 1792 में स्थापित किया गया और रामजस कॉलेज की स्थापना 1917 में हुई, जो बाद में विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गए. शुरू में कला और विज्ञान संकाय के लगभग 750 छात्र थे. जब सर मौरिस ग्वायर 1937 में ब्रिटिश भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भारत आए, तो वे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति बने. उनके समय में स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किए गए. विश्वविद्यालय में प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं. संकाय के सदस्यों में भौतिकी में दौलत सिंह कोठारी और वनस्पति विज्ञान में पंचानन माहेश्वरी शामिल थे. ग्वायर को 'विश्वविद्यालय का निर्माता' कहा गया. उन्होंने 1950 तक कुलपति के रूप में कार्य किया.

हरि सिंह गाैर.
हरि सिंह गाैर.
तीन कॉलेज से शुरू हुआ था आज 90 कॉलेज हैंःशहर भर में फैले 16 संकाय, 86 शैक्षणिक विभाग, 77 कॉलेज और 5 अन्य संस्थान हैं. इनमें 132,435 नियमित छात्र (114,494 स्नातक और 17,941 स्नातकोत्तर) हैं. गैर-औपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों में 261,169 छात्र हैं ( 258,831स्नातक और 2,338 स्नातकोत्तर). डीयू के केमिस्ट्री, जियोलॉजी, जूलॉजी, सोशियोलॉजी और हिस्ट्री विभागों को सेंटर्स ऑफ एडवांस्ड स्टडीज का दर्जा दिया गया है. इसके अलावा विश्वविद्यालय के कई विभागों को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक कार्यों की मान्यता में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विशेष सहायता कार्यक्रम के तहत अनुदान प्राप्त होता है. डीयू भारत में उच्च शिक्षा के सबसे अधिक मांग वाले संस्थानों में से एक है. यह भारतीय विश्वविद्यालयों में सबसे अधिक प्रकाशनों में से एक है.
डीयू के पहले convocation की तस्वीर.
डीयू के पहले convocation की तस्वीर.

इसे भी पढ़ेंः डीयू शतवर्ष समारोहः प्रो. मनोज झा ने कहा-संवाद करना विश्वविद्यालय ने सिखाया

दिल्ली विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह 26 मार्च, 1923 को आयोजित किया गया था. विश्वविद्यालय शुरू में कश्मीरी गेट पर रिट्ज सिनेमा भवन से कार्य करता था. उस समय विश्वविद्यालय का कोई स्थायी परिसर नहीं था. वास्तव में, जब एडवर्ड लुटियंस ने नई दिल्ली की योजना बनाई थी, तो एक विश्वविद्यालय के लिए जगह आवंटित की गई थी जहां आज कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित है. आरई फ्राइकेनबर्ग द्वारा संपादित पुस्तक दिल्ली थ्रू द एज के लिए एक निबंध में, दिवंगत इतिहासकार प्रो अपर्णा बसु ने लिखा, “विश्वविद्यालय पुराने शहर के विभिन्न हिस्सों में किराए के भवनों में स्थित था. इसके प्रशासनिक कार्यालय अलीपुर रोड पर कर्जन हाउस में अंडरहिल रोड पर क्रमिक रूप से रखे गए थे” 1926 में, विश्वविद्यालय को केंद्रीय विधान सभा भवन का एक हिस्सा आवंटित किया गया था, जिसमें एक अस्थायी सचिवालय (आज की दिल्ली विधानसभा) भी था, जिसमें विधानसभा हॉल और आस-पास के कमरे शामिल थे, जिसका मासिक किराया 350 रुपये था. यही जगह थी कि दिल्ली विश्वविद्यालय अधिनियम 28 फरवरी, 1922 को पारित किया गया था.

शिफ्ट टू देल्ही.
शिफ्ट टू देल्ही.

जिस वर्ष भारत स्वतंत्र हुआ उसी साल डीयू ने मनायी रजत जयंतीः

1947 में दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी रजत जयंती मनाई, उसी वर्ष भारत स्वतंत्र हुआ था. दिल्ली शरणार्थियों से भर गई और विश्वविद्यालय को विस्थापित छात्रों को प्रवेश देने के लिए अपने नियमों को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान से दिल्ली आए छात्रों को समायोजित करने के लिए रामजस कॉलेज दो पालियों में कक्षाएं चलाने वाला पहला संस्थान था. सुबह की कक्षाएं दिल्ली विश्वविद्यालय से और शाम की कक्षाएं पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध थीं. पश्चिम पंजाब (पाकिस्तान) के विभिन्न कॉलेजों से विस्थापित हुए कर्मचारियों और छात्रों को समायोजित करने के लिए मंदिर मार्ग पर हरकोर्ट बटलर स्कूल में एक कैंप कॉलेज शुरू किया गया था. 1947 में, दिल्ली में छह कॉलेज थे. स्वतंत्रता के बाद, विश्वविद्यालय ने तेजी से विकास देखा. पश्चिमी पंजाब के छात्रों को समायोजित करने के लिए कई नए कॉलेज शुरू किए गए. विश्वविद्यालय परिसर में भी वृद्धि हुई और बाद में हिंदू कॉलेज (1953) और रामजस (1951) जैसे कॉलेज विश्वविद्यालय परिसर में स्थानांतरित हो गए. हंसराज कॉलेज की शुरुआत 1948 में डीएवी कॉलेज लाहौर की प्रबंध समिति द्वारा की गई थी.

महापुरुषाें की तस्वीरें.
महापुरुषाें की तस्वीरें.

ऐसे नाम पड़ा मिरांडा हाउसः

मिरांडा हाउस-द टेम्पेस्ट से ग्वायर के पसंदीदा शेक्सपियर के चरित्र के नाम पर उसी वर्ष शुरू किया गया था. 1954 में किरोड़ीमल कॉलेज अस्तित्व में आया. कैंपस में कुछ कॉलेज थे, जो उन दिनों वीरान दिखते थे. हिंदू कॉलेज तीन साल पहले ही परिसर में स्थानांतरित हुआ था. 1960 के दशक में, कई नए महिला कॉलेज - लक्ष्मीबाई, कमला नेहरू, गार्गी और जानकी देवी सामने आए. 1973 में, जैसे-जैसे शहर का विस्तार हुआ, दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर को तत्कालीन कुलपति सरूप सिंह की पहल पर शुरू किया गया था. मूल रूप से साउथ एक्सटेंशन में छह आवासीय भवनों में स्थित, यह 1984 में धौला कुआं के पास बेनिटो जुआरेज़ रोड में स्थानांतरित हो गया. साउथ कैंपस में इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान, आनुवंशिकी और बायोफिज़िक्स जैसे कई नए व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे. अपने अस्तित्व के 100 वर्षों में विश्वविद्यालय ने एक लंबा सफर तय किया है. एकात्मक, शिक्षण और आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में 750 छात्रों और तीन कॉलेजों से शुरू होकर, आज इसमें 90 संबद्ध कॉलेज, 700,000 से अधिक छात्र, 16 संकाय और 86 शैक्षणिक विभाग हैं.

डीयू का आर्काइव.
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अंग्रेजाें का इतिहास.
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राजधानी जब काेलकाता से नई दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा था, उस वक्त की प्लानिंग.
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डीयू के आर्काइव से ली गयी तस्वीर.
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