नई दिल्ली: सीमापुरी विधानसभा के गांव खेड़ा के सैकड़ों लोगों ने पानी की समस्या को लेकर जीटी रोड फ्लाईओवर के नीचे जोरदार धरना प्रदर्शन किया. वहीं मोहल्ला सुधार समिति के प्रधान ने क्षेत्र की समस्या का समाधान नहीं होने तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
आंदोलनकारी क्षेत्रवासियों को कहना है कि एक तरफ दिल्ली सरकार पानी के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं उनके इलाके में सालों से पानी की पाइप लाइन तक नहीं डाली गई है. मांग है कि जल्द से जल्द अगर इलाके में पानी की पाइप लाइन नहीं डाली गई तो वह आने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
प्रधान ने शुरू की भूख हड़ताल
मोहल्ला सुधार समिति के प्रधान राकेश कुमार का कहना है सालों गुजर गए लेकिन आज तक उनकी शिकायत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इतना ही नहीं कई बार वे स्थानीय विधायक और दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम और दिल्ली के मुख्यमंत्री से शिकायत कर चुके हैं लेकिन ना ही जल बोर्ड और ना ही कोई दूसरा विभाग इस तरफ कोई ध्यान दे रहा है. जिसके कारण लोग टैंकरों का पानी पीने को मजबूर है और इलाके में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं.
प्रधान राकेश कुमार ने बताया की उन्होंने इस आंदोलन से पहले अपने एमएलए को भी सूचित कर दिया था. संबंधित विभाग को भी जानकारी दी गई थी लेकिन किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया. जिस कारण उन्हें मजबूरी में इस आंदोलन को करना पड़ रहा है.
उन्होंने चेताया कि यदि जल्द से जल्द उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आने वाले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के सभी लोग चुनावों का बहिष्कार करेंगे और किसी भी नेता को क्षेत्र में नहीं आने दिया जाएगा.
कई शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
वहीं मौहल्ला सुधार समिति के दूसरे प्रधान विनोद गोस्वामी ने बताया कि वह लोग एक बार नहीं बल्की कई बार इलाके में पानी की समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कोई भी उनकी समस्या को सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को भी वह कई बार मिल चुके हैं. वह केवल आश्वासन देते हैं उसके अलावा आज तक उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया.
महिलाएं घरेलू काम छोड़कर पानी के लिए होती है परेशान
आंदोलन पर बैठी महिलाओं का कहना है कि वह अपने घरबार का काम छोड़कर उन्हें पानी का जुगाड़ करने के लिए घरों से बाहर निकलना पड़ता है. कई बार तो उन्हें दूर तक जाकर पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. जिस कारण उनके घर पर काम नहीं हो पाते.
महिलाओं का कहना है कि जल्द से जल्द अगर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे लोग इस आंदोलन को उग्र भी कर सकते हैं.