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हेट स्पीच को लेकर वृंदा करात की FIR दर्ज करने की मांग पर सुनवाई टली

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Published : Feb 5, 2021, 8:22 PM IST

बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर सीपीएम नेता वृंदा करात की एफआईआर दर्ज करने के लिए दायर याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी है.

Hearing deferred on Vrinda Karat demand for filing FIR for hate speech
हेट स्पीच को लेकर वृंदा करात की FIR दर्ज करने की मांग पर सुनवाई टली

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर सीपीएम नेता वृंदा करात की एफआईआर दर्ज करने के लिए दायर याचिका खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने 2 मार्च को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है.


'बिना क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज किया गया'

8 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि यह क्षेत्राधिकार का मसला है. ट्रायल कोर्ट ने धारा 397 का हवाला दिया है जिसका मतलब केस खारिज होना नहीं है. ये मामला महीनों तक लंबित रहा, तब जस्टिस खन्ना ने कहा था कि आप जानते हैं कि मजिस्ट्रेट के समक्ष हजारों केस लंबित है. सिद्धार्थ अग्रवाल ने प्रभु चावला के केस का हवाला देते हुए कहा था कि धारा 482 के तहत हाईकोर्ट के पास आंतरिक शक्ति है.

उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के विक्रम बख्शी बनाम दिल्ली राज्य के फैसले का उदाहरण दिया. अग्रवाल ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने धारा 156(3) के तहत याचिका दायर किया था. ट्रायल कोर्ट ने केस की मेरिट पर गौर किए बिना हमें क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया. ऐसा कर ट्रायल कोर्ट ने गलती की.



'हाईकोर्ट ने फैसलों की प्रति दायर करने का निर्देश दिया'

दिल्ली पुलिस की ओर से वकील ऋचा कपूर ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जो सवाल उठाए हैं. वे सेशंस कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर कर भी कहा जा सकता है. उन्होंने कहा था कि वो इस मामले पर फैसलों की प्रति और याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर दलीलें रखेंगी. उसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को फैसलों की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया था.



'बिना पूर्व अनुमति के लोकसेवक पर एफआईआर दर्ज नहीं किया जा सकता'

26 अगस्त 202 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वृंदा करात की याचिका खारिज कर दिया था. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा था कि इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से जरुरी अनुमति नहीं ली गई है इसलिए एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. ट्रायल कोर्ट ने अनिल कुमार और अन्य बनाम एमके अयप्पा और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण दिया था जिसमें कहा गया था कि लोकसेवक के खिलाफ जांच का आदेश बिना पूर्व अनुमति के नहीं दिया जा सकता है. ट्रायल कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ वृंदा करात ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.



'दिल्ली पुलिस ने दिया था क्लीन चिट'

26 फरवरी 2020 को दिल्ली पुलिस की क्राईम ब्रांच ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा को क्लीन चिट दे दिया था. कोर्ट को सौंपे एक्शन टेकन रिपोर्ट में क्राईम ब्रांच ने कहा था कि अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. सुनवाई के दौरान क्राईम ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर धीरज ने कोर्ट को बताया था कि वो इस मामले पर कानूनी सलाह ले रही है. क्राईम ब्रांच ने कहा था कि बीजेपी नेताओं के बयान और हिंसा की घटनाओं में कोई संबंध नहीं है.



'वृंदा करात ने एफआईआर को दर्ज करने की मांग की है'

सीपीएम की नेता वृंदा करात ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के हेट स्पीच के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. बता दें कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अनुराग ठाकुर ने एक जनसभा में नारेबाजी करवाई थी. उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को देश का गद्दार बताते हुए नारा लगवाया था कि 'देश के गद्दारों को...गोली मारो...’


'परवेश वर्मा ने शाहीन बाग की तुलना कश्मीर से की थी'

बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने शाहीन बाग की तुलना कश्मीर की स्थिति से की थी. उन्होंने कहा था कि 'शाहीन बाग में जो लाखों लोग हैं वो एक दिन आपके घर में घुस जाएंगे, मां-बहनों का रेप करेंगे और लूटेंगे '. दोनों के बयानों पर निर्वाचन आयोग ने भी कार्रवाई की थी. पहले तो दोनों को बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची से हटाने का आदेश दिया था. बाद में अनुराग ठाकुर पर 72 घंटे और प्रवेश वर्मा पर 96 घंटे तक चुनाव प्रचार पर रोक लगा दिया था.

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