नई दिल्ली : बाहरी दिल्ली के रिंग रोड पर ई-रिक्शा चालक सड़क किनारे अलाव जलाकर सवारी का इंतजार करते नजर आए. सवारी न मिलने से वह परेशान हैं. कड़ाके की सर्दी में सवारी का इंतजार करते रिक्शा चालक खुद को ठंड से बचाने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं. वीकेंड कर्फ्यू की वजह से उन्हें सवारियां नहीं मिल रहीं. सुबह से शाम तक सवारी का इंतजार करते हैं, लेकिन शाम को कई बार खाली हाथ ही घर जाना पड़ता है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए रिक्शा चालकों ने बताया कि पहले ही कोरोना की वजह से काम नहीं था और अब वीकेंड कर्फ्यू का भी प्रभाव पड़ रहा है. ई रिक्शा चालक स्टैंड पर सुबह से शाम तक सवारियों की तलाश में खड़े रहते हैं, लेकिन सवारिया नहीं मिलतीं. रिक्शा चालकों को कोरोना की वजह से आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ रहा है. ये रिक्शा चालक पहले 500 से 700 रुपये आसानी से कमा लेते थे, लेकिन अब पूरा दिन काम करने के बाद मुश्किल से 100 से 200 रुपये ही कमा रहे हैं. संक्रमण के चलते ई रिक्शा में ज्यादा सवारी नहीं बैठा सकते, जिसका असर काम पर साफ दिख रहा है.
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ई रिक्शा चालकों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि इन लोगों के पास पिछले दो सालों से काम नहीं है. किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते लोगों के काम धंधे काफी प्रभावित हुए हैं. कई लोगों के पास अपना खुद का ई रिक्शा भी नहीं है वह लोग किराये पर रिक्शा लेकर चलाते हैं, जिसका किराया देनी पड़ता है. आमदनी न होने के चलते सभी की जेब खाली है. अब खाने के लिए भी आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, किराए के मकान में रहते हैं, बच्चों की ट्यूशन फीस देनी होती है.
ई रिक्शा चालक उम्मीद जता रहे हैं कि जल्दी लॉकडाउन खत्म हो जाए और अब आगे किसी तरह की बंदिश न हो. एक बार फिर से रोजगार पटरी पर लौट आए, साथ ही राहत के लिए उम्मीद भरी नजरों से सरकार की ओर देख रहे हैं, जिससे सरकार भी गरीब लोगों की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा सकें.
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