नई दिल्लीः दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्रिंसिपल के चयन प्रक्रिया पर यूपीएससी चेयरमैन डॉ. मनोज सोनी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सुझाव दिया है कि प्रिंसिपल में कौन से गुण अवश्य होने चाहिए.
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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यूपीएससी चेयरमैन को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि चयन के दौरान यूपीएससी इस बात पर विशेष बल दे कि प्रिंसिपल में प्रशासनिक प्रक्रिया की समझ के साथ-साथ बच्चों के सीखने की प्रक्रिया और उनके मनोविज्ञान की भी गहरी समझ हो. उन्होंने पत्र में कहा कि प्रिंसिपल केवल एकेडमिक एडमिनिस्ट्रेटर नहीं बल्कि स्कूल लीडर की भूमिका भी निभाते हैं. प्रिंसिपल के व्यक्तित्व का प्रभाव स्कूल के इकोसिस्टम में भी दिखता है. शिक्षा के लिए सरकार पर्याप्त संसाधन मुहैया करवा सकती है लेकिन बदलाव लाने के लिए धरातल पर प्रिंसिपल को काम करना होता है. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में प्रिंसिपल के 363 पदों के लिए यूपीएससी द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाने के बाद से स्कूल एजुकेशन सिस्टम को मजबूत करने में सबसे बड़ी कवायद साबित होगी.
बता दें कि यूपीएससी द्वारा प्रिंसिपल के चयन के लिए आयोजित की जाने वाली लिखित परीक्षा 300 अंकों की होती है और पूरे रिजल्ट में इसका वेटेज 75 फीसदी होता है. यूपीएससी 6 विषयों पर प्रिंसिपल के लिए एक उम्मीदवार की जांच करता है. जिसमें सामान्य ज्ञान समकालीन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दे, हिंदी और अंग्रेजी भाषा कौशल, तर्क क्षमता और मात्रात्मक योग्यता, शिक्षा नीतियां और शिक्षा माप और मूल्यांकन, मैनेजमेंट और फाइनेंसियल एडमिनिस्ट्रेशन, कार्यालय संबंधी कामकाज प्रक्रिया.
उपमुख्यमंत्री को चाहिए यह गुणः उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इन 6 बिन्दुओं के अतिरिक्त इस बार प्रिंसिपल की चयन प्रक्रिया के लिए यूपीएससी को 5 और बिंदु पर ध्यान देने का सुझाव दिया है, जिसमें हर बच्चे और उसकी सीखने की क्षमता के प्रति विश्वास, दिल्ली की संस्कृति और विविधता का सम्मान, दिल्ली की जमीनी हकीकत की समझ, शिक्षकों को प्रेरित करने और उन्हें गाइडेंस देने में सक्षमता, रिसर्च ओरिएंटेड माइंडसेट, हमेशा पढ़ने-सीखने के लिए तत्परता रहना शामिल है. बता दें कि प्रिंसिपल के चयन के लिए आखिरी परीक्षा वर्ष 2012 में आयोजित की गई थी.