नई दिल्ली: प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. मौजूदा समय में हिंदी के क्या मायने हैं. हिंदी की वर्तमान स्थिति तकनीक के बदलते इस दौर में हिंदी अपने अस्तित्व को लेकर किस तरह से संघर्ष कर रही है. इन तमाम बातों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रोफेसर निरंजन कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बदलते दौर में हिंदी का प्रचार-प्रसार बढ़ा है, लेकिन हिंदी का संघर्ष अभी भी जारी है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा कि हिंदी जब कहते हैं तो जन सामान्य यह समझता है कि हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य ही केवल हिंदी है. उन्होंने कहा कि हिंदी की परिधि आज काफी ज्यादा बढ़ चुकी है. हिंदी में काफी कुछ काम किया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले केवल यह धारणा थी कि हिंदी भाषा और साहित्य तक ही है लेकिन यह धारणा अब धीरे-धीरे बदल रही है.
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प्रोफेसर निरंजन कुमार ने आगे कहा कि हिंदी को लेकर जो सपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देखा था. राजनेता उसे वह स्थान नहीं दिला पाए. हिंदी के साथ राजनीति हुई है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा राज्यों में हिंदी को लेकर काफी राजनीति के कारण आंदोलन भी देखने को मिले हैं. जबकि हिंदी का संघर्ष क्षेत्रीय भाषा से नहीं था. हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का संघर्ष अंग्रेजी भाषा से था और वह आज भी निरंतर जारी है.
प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में हिंदी का निरंतर विकास हो रहा है. साथ ही कहा कि हिंदी का भविष्य उज्जवल है तकनीक के जरिए उसका प्रचार प्रसार और बढ़ा है.