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कुतुब मीनार परिसर के कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई टली

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Published : Apr 27, 2021, 8:35 PM IST

Qutub Minar
कुतुब मीनार

साकेत कोर्ट ने कुतुब मीनार परिसर में बने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इसमें कहा गया था कि 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर यह मस्जिद बनाई गई थी.

नई दिल्लीः साकेत कोर्ट ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर में बने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्ज़िद पर दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को होगी.

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क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का दे सकता है आदेश

24 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ये बताने का निर्देश दिया था कि भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है. कोर्ट ने पूछा था कि ये बताइए कि क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का आदेश दे सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरो को ध्वस्त किया गया था. लिहाजा इसको साबित करने की ज़रूरत नहीं है. पिछले आठ सौ से ज़्यादा सालों से हम पीड़ित हैं. अब पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, जो कि मूल अधिकार है. जैन ने कहा था कि वहां पिछले आठ सौ साल से नमाज़ नहीं पढ़ी गई है. मस्जिद के तौर पर इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ है. हरिशंकर जैन ने अपनी दलीलो के समर्थन में वहां मौजूद लौह स्तंभ, भगवान विष्णु और दूसरे आराध्य देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों का हवाला दिया था.

'राष्ट्रीय शर्म का विषय'

सुनवाई के दौरान वकील विष्णु जैन ने कहा था कि ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है. देशी-विदेशी तमाम लोग वहां पहुचते हैं. देखते हैं कि कैसे खंडित मूर्तियां वहां पर हैं. हमारा मकसद, अब वहां किसी विध्वंस के लिए कोर्ट को आश्वस्त करना नहीं है. हम सिर्फ पूजा का अधिकार चाहते हैं. तब जज नेहा शर्मा ने पूछा था कि आप पूजा का अधिकार मांग रहे हैं. अभी जगह एएसआई के कब्ज़े में है, तो एक दूसरे तरीके से आप ज़मीन पर कब्ज़ा मांग रहे हैं. हरिशंकर जैन ने कहा कि ज़मीन पर अपना मालिकाना हक़ नहीं मांग रहे हैं. बिना मालिकाना हक़ दिए भी, पूजा का अधिकार दिया जा सकता है.

देवता और भक्त ,दोनों ओर से याचिका दायर की

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि आपके इस याचिका को दायर करने का क्या औचित्य है. किस हक़ से याचिका दायर कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने कहा था हमने देवता और भक्त, दोनों ओर से याचिका दायर की है. एक भक्त के याचिका दायर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है. आप मेरे अधिकार को खारिज नहीं कर सकते हैं.

कुतुबद्दीन ऐबक ने बनवाया कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद

याचिका पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव, भगवान विष्णु की ओर से हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री और जीतेंद्र सिंह बिसेन ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया. ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में कहा गया है कि कुतुब मीनार परिसर के दीवारों, खंभों और छतों पर हिंदू और जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं. ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया है.

27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने की मांग

याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया(एएसआई) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में मांग की गई है कि इन 27 मंदिरों क पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.


देखरेख के लिए ट्रस्ट गठित करने की मांग

बता दें कि इस विवादित स्थान को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का मकबरा घोषित किया था. इस मकबरे की देखरेख एएसआई करती है. एएसआई एंशिएंट मॉनूमेंट्स एंड आर्कियोलॉजिकल साईट्स एंड रिमेंस एक्ट के प्रावधानों के तहत इस मकबरे की देखभाल और संरक्षण का काम करती है. याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट का गठन कर, इस स्थान का प्रबंधन, उसे सौंपने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

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