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रोहिणी ब्लास्ट मामले की जांच हुई धीमी, जानिए क्या है बड़ी वजह

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Published : Jan 4, 2022, 2:20 PM IST

दिल्ली की रोहिणी कोर्ट (delhi rohini court) कोर्ट धमाका मामले में जांच धीमी हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह आरोपी वैज्ञानिक का अस्पताल में भर्ती होना है. इसके कारण आरोपी से पूछताछ नहीं हो पा रही है और ब्लास्ट की कड़ियां जोड़ने में मुश्किल आ रही है.

rohini court blast case
दिल्ली रोहिणी ब्लास्ट केस

नई दिल्ली : रोहिणी कोर्ट में हुए ब्लास्ट (delhi rohini court blast case) के मामले को लगभग एक महीना पूरा होने वाला है. इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी को भी 15 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस की जांच इस मामले में धीमी पड़ती हुई दिख रही है. इसकी बड़ी वजह आरोपी वैज्ञानिक (DRDO Scientist Bharat bhushan kataria) का अस्पताल में भर्ती होना है. इस वजह से आरोपी से पूछताछ नहीं हो पा रही है और ब्लास्ट की कड़ियां जोड़ने में मुश्किल आ रही है.


जानकारी के अनुसार, बीते नौ दिसंबर को कोर्ट संख्या 102 में ब्लास्ट हुआ था. शुरुआत में पुलिस इसे लैपटॉप में हुआ धमाका मान रही थी, लेकिन बाद में पता चला कि यह एक टिफिन बम था. रिमोट कंट्रोल से इस ब्लास्ट को अंजाम दिया गया था. इस मामले में रोहिणी कोर्ट में लगे हुए तमाम सीसीटीवी खंगालने एवं उस दिन कोर्ट में लगे केस से जुड़े लोगों से पूछताछ करने के बाद पुलिस को अहम सुराग मिले थे. इनकी मदद से पुलिस ने अशोक विहार में रहने वाले आरोपी वैज्ञानिक भारत भूषण कटारिया (DRDO Scientist Bharat bhushan kataria) को गिरफ्तार किया था. ब्लास्ट में इस्तेमाल किया गया कुछ सामान भी पुलिस (delhi Police news) ने उनके घर से बरामद किया था.

rohini court blast case
रोहिणी ब्लास्ट केस के आरोपी वैज्ञानिक
ब्लास्ट मामले में पुलिस टीम (delhi police team) ने उन्हें पूछताछ के लिए अदालत से रिमांड पर लिया था, लेकिन रिमांड के दौरान उन्होंने हैंड वाश लिक्विड पीकर खुदकुशी करने की कोशिश की. इसकी वजह से उन्हें तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचाया गया था. वहां से हालत बिगड़ने पर उन्हें एम्स भेजा गया था. एम्स में उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है, लेकिन बीते 12 दिनों से उनका उपचार अस्पताल में ही चल रहा है. इसकी वजह से पुलिस टीम आरोपी वैज्ञानिक से अभी तक कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल नहीं कर सकी है.

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सूत्रों का कहना है कि इस मामले में उनके ठीक होने के बाद स्पेशल सेल (delhi special cell) एक बार फिर उन्हें रिमांड पर लेगी और इस ब्लास्ट से जुड़ी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश करेगी. प्राथमिक जांच में पुलिस को पता चला था कि उन्होंने अपने अपने पड़ोसी अधिवक्ता अमित वशिष्ठ को मारने के इरादे से या ब्लास्ट किया था. दोनों के बीच कई मामले अदालत में चल रहे हैं जिसे लेकर वैज्ञानिक तनाव में थे. इस वजह से ही उन्होंने अधिवक्ता अमित वशिष्ठ के ठीक पीछे ले जाकर यह टिफिन बम का बैग रखा था. ब् लेकिन इसमें अधिवक्ता की जान बच गई.

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पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस मामले में उनके पास महत्वपूर्ण सुराग हैं जिनकी मदद से वह आरोपी वैज्ञानिक का अपराध साबित करेंगे. लेकिन इस मामले में कई अहम जानकारियां उन्हें वैज्ञानिक से हासिल करनी है. उनसे पूछताछ कर इनके बारे में सुराग जुटाने का काम अभी किया जाना है. डॉक्टर के अस्पताल में होने की वजह से अभी तक उनसे पूछताछ नहीं हो सकी है. इसलिए पुलिस उनके ठीक होने का इंतजार कर रही है.

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