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शाहीन बाग प्रदर्शन नानी-दादी का प्रदर्शन नहीं था: दिल्ली पुलिस

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Published : Jan 29, 2022, 3:25 PM IST

Updated : Jan 29, 2022, 3:34 PM IST

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11 जनवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद वेब सीरीज का हवाला देकर याचिका का निपटारा करवाना चाहता है, उनकी दलीलों में कोई दम नहीं है. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से वेब सीरीज फैमिली मैन और सिनेमा ट्रायल ऑफ शिकागो का हवाला दे रहे हैं. जब आपकी दलीलों में कोई दम नहीं होता है, वे हेडलाइंस में रहने के लिए ऐसी दलीलें देते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन नानी और दादी का विरोध प्रदर्शन नहीं था. दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शन को स्थानीय लोगों का भी समर्थन प्राप्त नहीं था. जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी.

सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के चैट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि हम खुरेजी की टेस्टिंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शाहीन बाग के आंदोलन में बाहर से महिलाओं को लाया गया. पिंजरा तोड़ समूह के कुछ सदस्यों को शामिल कर लिया गया. राहुल राय लोगों को जोड़ने लगे. आईसीएलयू के वकील भी कानूनी मदद का हाथ बढ़ाने लगे.

अमित प्रसाद ने कहा कि आंदोलनों के लिए सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के नामों का इस्तेमाल किया गया. विरोध प्रदर्शनों के लिए जो भी स्थल चुने गए वो काफी संकरे थे. इन स्थलों के चुनाव का सीधा मकसद था कि उन इलाकों के गरीब लोगों का इस्तेमाल किया जाए.

उन्होंने कहा कि इन आंदोलनों को स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्त नहीं था. कई सारी टीमें मिलकर इसे मैनेज कर रही थीं. सिविल सोसायटी के एजेंडा से आम महिलाओं को कोई मतलब नहीं था. अमित प्रसाद ने कहा कि ऐसा माहौल बनाया गया, जैसे कि बंदर वाला आता है डमरु बजाएगा. आंदोलनों के लिए कलाकारों को बुलाया गया. प्रदर्शन स्थलों पर टॉयलेट इसलिए बनवाए गए, ताकि बाहर से आने वाले लोगों के लिए इंतजाम किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी हमारी जांच चल रही है और हमने किसी को क्लीन चिट नहीं दी है.

28 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 2020 में किए गए विरोध से नागरिकता संशोधन कानून का कोई लेना-देना नहीं था, बल्कि उसके जरिये सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में बदनाम करने की नीयत थी.

अमित प्रसाद ने 20 फरवरी 2020 में उमर खालिद द्वारा अमरावती में दिए गए भाषण का जिक्र किया था, जिसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र किया गया था. अमित प्रसाद ने कहा कि देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों की ओर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की ओर ध्यान आकर्षित करना मकसद था. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद ने अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे और हम डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे. अमित प्रसाद ने पूछा था कि क्या उमर खालिद ने ट्रंप का अप्वायंटमेट लिया था. मतलब साफ है कि मकसद कुछ और था.

11 जनवरी को सुनवाई के दौरान प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद वेब सीरीज का हवाला देकर याचिका का निपटारा करवाना चाहता है, उनकी दलीलों में कोई दम नहीं है. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से वेब सीरीज फैमिली मैन और सिनेमा ट्रायल ऑफ शिकागो का हवाला दे रहे हैं. जब आपकी दलीलों में कोई दम नहीं होता है, वे हेडलाइंस में रहने के लिए ऐसी दलीलें देते हैं. उन्होंने कहा था कि जब कानून की दलीलें दी जाती हैं तो सुनवाई की कोई रिपोर्टिंग नहीं होती, लेकिन जब फैमिली मैन की दलीलें दी जाती हैं तो उनका कवरेज होता है. ये सब कुछ एक राय बनाने के लिए किया जाता है.

अमित प्रसाद ने उमर खालिद के वकील त्रिदीप पायस की इस दलील का विरोध किया था कि जांच एजेंसी और जांच अधिकारी सांप्रदायिक हैं. उन्होंने कहा था कि जांच एजेंसी किसी व्यक्ति की नहीं है, ये सरकार की है. उन्होंने कहा था कि जमानत पर सुनवाई के दौरान गवाहों की विश्वसनीयता नहीं देखी जाती है. आप हमारी दलीलों को खारिज कर सकते हैं, पुलिस को दिए गए बयानों को अविश्वसनीय बना सकते हैं, लेकिन अगर कोई गवाह कोर्ट में बयान दर्ज कराता है तो उसे अविश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है.

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अमित प्रसाद ने कहा था कि ये मामला दिल्ली हिंसा की बड़ी साजिश से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा था कि हिंसा फैलाने के लिए एक गुप्त समझौता हुआ था, जिसे लोग सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं. जब अपराध का खुलासा हुआ तो आरोपियों ने अपने को छिपाने की कोशिश की. अमित प्रसाद ने त्रिदीप पायस की इस दलील का विरोध किया था कि व्हाट्स ऐप ग्रुप का सदस्य होना अपराध नहीं है. उन्होंने कहा था कि व्यक्तिगत स्तर पर कोई चीज गैरकानूनी नहीं होती. उसका परिणाम गैरकानूनी होता है. उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी का बैट्री खरीदना गैरकानूनी नहीं था. सब कुछ साक्ष्यों पर निर्भर करता है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे अचानक नहीं हुए थे. ये बात हाईकोर्ट ने भी स्वीकार की है.

बता दें कि क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने, और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की थी. करीब 100 पेज की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की. इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ताधर्ता इंतजाम करते थे.

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उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल किया था.

Last Updated :Jan 29, 2022, 3:34 PM IST
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