नई दिल्ली : सास की संपत्ति हड़पने के लिए एक दामाद ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए. इसमें उसने अपने दो साथियों को पार्टनर बनाया. शिकायत मिलने के बाद इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने उसके दोनों साथियों को गिरफ्तार कर लिया है. इनमें से एक आरोपी स्पाइसजेट कंपनी का पायलट है जबकि दूसरा निजी कंपनी का कर्मचारी है. दोनों ने फर्जी दस्तावेज पर गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किए थे.
संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा के अनुसार महिला शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि उसने फ्रीडम फाइटर एनक्लेव में 200 गज का एक प्लॉट खरीदा था. इस पर उसने तीन मंजिल का मकान बनाया. उसने इसके इस प्रॉपर्टी में 50 फ़ीसदी हिस्सेदार अपनी बेटी स्वर्गीय संगीता सैनी को बनाया था. जनवरी 2016 में उनकी बेटी का देहांत हुआ था. इस प्रॉपर्टी को महिला के दामाद ने कुछ समय बाद अपना बताया. पीड़िता ने अपने दामाद राजेश सैनी के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया. सुनवाई के दौरान राजेश सैनी ने अदालत में दस्तावेज जमा कराएं.
इस दस्तावेज में बताया गया था कि शिकायतकर्ता ने अपनी बेटी को यह मकान बेच दिया है. सितंबर 2015 में यह सेल डीड बनाई गई थी. लेकिन वास्तव में मां ने अपनी बेटी के नाम पर कोई प्रॉपर्टी नहीं बेची थी. छानबीन के दौरान शिकायतकर्ता से पुलिस ने जब बात की तो उसने बताया कि उसने अपनी बेटी के नाम पर कभी संपत्ति नहीं की. प्रदीप कुमार शर्मा नामक एक गवाह ने भी अपना बयान दर्ज कराया. उसने बताया कि जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी पर उसके हस्ताक्षर फर्जी हैं. इस पर नोटरी करने वाले से जब पूछताछ की गई तो उसने कहा कि इस पर उसके हस्ताक्षर नहीं है. उसने यह भी कहा कि यह नोटरी उसने तैयार नहीं की है.
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इन दस्तावेजों को जांच के लिए एफएसएल भेजा गया. वहां से पता चला कि फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हैं. इसमें साहिल अग्रवाल और नीतीश चौधरी को गवाह बनाया गया था. यह दस्तावेज राजेश सैनी के कंप्यूटर और लैपटॉप में मौजूद मिले. अप्रैल 2018 में राजेश सैनी को गिरफ्तार कर लिया गया था और उसके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल हो चुका है. वहीं नीतीश चौधरी और साहिल अग्रवाल फरार चल रहे थे जो इसमें गवाह थे. एसआई चेतन और प्रवीण की टीम ने साहिल अग्रवाल और नीतीश चौधरी को गिरफ्तार कर लिया है.
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संयुक्त आयुक्त छाया शर्मा के अनुसार गिरफ्तार किये गए नीतीश चौधरी और साहिल अग्रवाल ने आपराधिक साजिश के तहत राजेश सैनी के साथ मिलकर यह फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे. इसका मकसद 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला की प्रॉपर्टी पर कब्जा करना था. अदालत में भी उन्होंने फर्जी दस्तावेज जमा कराए थे. आरोपी नीतीश चौधरी ने अमेरिका से कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग ली है. इसके अलावा उसने बीबीए भी किया हुआ है. वह स्पाइसजेट कंपनी में पायलट है. दूसरा आरोपी साहिल अग्रवाल ग्रेजुएट है. वह एक निजी कंपनी में काम करता था.