नई दिल्ली : दिल्ली की IGI पुलिस ने फर्जी बोर्डिंग पास से एयर इंडिया की फ्लाइट से यूके, लंदन जा रहे सात यात्रियों के साथ उन्हें भेजने वाले मास्टरमाइंड इंजीनियर को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार एजेंट की पहचान पंकज उर्फ कमल के रूप में हुई है. ये भदोही, यूपी का रहने वाला है. आरोपी ने बी.टेक किया है और मुंबई में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है. साथ ही ये अवैध तरीकों से वीजा और पासपोर्ट भी बनाता है.
डीसीपी आईजीआई, संजय त्यागी के अनुसार, दो जनवरी को आईजीआई पुलिस को एयर इंडिया के ग्राउंड स्टाफ द्वारा सात हवाई यात्रियों अरमानदीप सिंह, अमृतपाल सिंह, जगदीप सिंह, गुरविंदर सिंह, राहुल जांगड़ा, दीपक और मनबीर को अयर इंडिया की यूके जाने वाली फ्लाइट से उतारने के मामले में सम्पर्क किया गया.
शुरुआत में सीमेन के रूप में जा रहे सभी यात्रियों को उस फ्लाइट से जाने के लिए इम्मीग्रेशन डिपार्टमेंट से क्लीयरेंस मिल गयी थी. लेकिन उसके ट्रेवल डॉक्युमेंट्स के स्क्रूटनी के दौरान एयर इंडिया के SATS को बोर्डिंग पास फर्जी होने का पता चला और पुनः उसके डाक्यूमेंट्स की वेरिफिकेशन की गई. इसमें यात्रा करने वालों के चार्ट में उनके नाम नहीं होने का पता चला. इसके बाद एयर इंडिया ने उन यात्रियों को इमीग्रेशन डिपार्टमेंट्स के हवाले कर दिया. इसके बाद BOI से मिली शिकायत के आधार पर आईजीआई पुलिस ने मामला दर्ज कर सभी सात यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया.
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मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएचओ यशपाल सिंह के नेतृत्व में एसआई राजकुमार, रमेश चंद, हेड कॉन्स्टेबल रामावतार और कॉन्स्टेबल अमरजीत की टीम का गठन कर मामले की जांच में लगाया गया. पूछताछ में आरोपी यात्रियों ने बताया कि दिल्ली के कृष्णा और कमल नाम के दो एजेंट ने उन्हें आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट, बोर्डिंग पास और बोर्ड शिप जॉइनिंग लेटर दिया था. इसके लिए प्रति यात्री 12 लाख रुपये भी उनसे लिए.
पूछताछ में ये भी पता चला कि ये सभी यात्री CDC पर सीमेन के रूप में यूके जा रहे थे और योजना के तहत वहां पहुंचने के बाद CDC सर्टिफिकेट को नष्ट कर यूके में आश्रय लेने वाले थे. एजेंट को अंदेशा था कि वो एयरलाईन काउंटर पर जाने के बाद पकड़े जा सकते हैं, इसलिए वहां जाने से बचने के लिए फर्जी बोर्डिंग पास दिया था. पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर सीसीटीवी फूटेजों को खंगाल कर एजेंट की पहचान करने में लग गयी. पुलिस को सूत्रों और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से पता चला कि आरोपी एजेंट सिर्फ व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल इस्तेमाल कर रहा है.
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इसके बाद जानकारियों को इकट्ठा कर उसके आईपी एड्रेस का पता किया गया। लेकिन मास्टरमाईंड आरोपी लगातार अपना लोकेशन बदल रहा था। आखिरकार पुलिस को उसके यूपी के भदोही में होने का पता चला. टेक्निकल असिस्टेंस की सहायता से पुलिस ने पंकज उर्फ कमल को दबोच लिया. उसने बताया कि वो अपने सहयोगी रंजीत और कृष्णा की सहायता से फर्जी बोर्डिंग पास अरेंज करता था. फिलहाल पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है.