नई दिल्लीः पुरानी दिल्ली (Purani Delhi) स्थित नया बाजार अनाज मंडी (Naya Bazar Anaz Mandi) में, इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave ) और लॉकडाउन (Lockdown) के चलते व्यापार बुरे तरीके से प्रभावित हुआ है. व्यापार में मंदी का जबरदस्त दौर है. इसकी वजह से कारोबारियों की परेशानी कई गुना तक बढ़ गई है. व्यापार की कमर पूरी तरीके से टूट गई है. कारोबारियों को यह तक नहीं पता कि हालात ठीक होने या फिर व्यापार को दोबारा खड़ा करने में कितना और समय लग जाएगा.
नया बाजार का इतिहास
नया बाजार के इतिहास की बात की जाए, तो यह देश की सबसे पुरानी अनाज मंडियों में से एक है. अनाज मंडी की स्थापना देश की आजादी से बहुत पहले हो गई थी, तब से लेकर, आज तक यह मंडी पूरे देश में सप्लाई चैन का एक केंद्र है. नया बाजार स्थित, इसी अनाज मंडी से देशभर में दाल, चावल, गेहूं आदि का कारोबार होता है. हर रोज यहां से आसाम, बंगाल , राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में भारी मात्रा में माल की आवाजाही होती है. बीते कुछ दशकों बात करें, तो इस मंडी में दिल्ली के मुख्यमंत्री और कई नेताओं ने बकायदा दौरा भी किया है. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 2007 और 2010 में, जहां इस मंडी का दौरा कर चुकी हैं. वहीं, दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी साल 2015 में इस मंडी का दौरा कर चुके हैं.
बाजार की वर्तमान स्थिति
नया बाजार स्थित अनाज मंडी में वर्तमान समय में लगभग अनाज के कारोबार से जुड़ी 1,000 दुकानें हैं. कुछ बड़े गोदाम भी हैं, जिनसे लगभग 15,000 से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी चलती है. इसके साथ ही पूरी मार्केट में कई सारी छोटी-छोटी दुकानें भी हैं, जिनका गुजारा भी इसी मार्केट पर निर्भर है. बाजार में स्थित हर एक दुकान से लगभग औसतन 8 से 10 मजदूर जुड़े हुए हैं. जो हर रोज 300 से 500 रुपये तक की कमाई करके, परिवार का पेट भरते हैं.
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राजस्व का एक बड़ा स्रोत
नया बाजार अनाज मंडी की बात की जाए, तो यह बाजार राजस्व के बड़े स्रोतों में से एक है. सरकार को, इस पूरे बाजार से बड़ी मात्रा में टैक्स के माध्यम से राजस्व की प्राप्ति होती है. वहीं, नगर निगम को भी प्रॉपर्टी टैक्स, ट्रेड लाइसेंस के माध्यम राजस्व की प्राप्ति होती है.
नया बाजार में कितनी बड़ी बेरोजगारी
एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी में से एक नया बाजार में कोरोना ओर उसके बाद लगे लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी भी काफी ज्यादा बढ़ी है. मार्केट के प्रधान के मुताबिक, बाजार में 30% से लेकर 40% तक बेरोजगारी बढ़ी है. वहीं, अन्य कारोबारियों की माने, तो हर दुकान में नौकरियां गई हैं. जिसके पास जिस हिसाब से काम है, उसने उतनी ही लेबर को रखा है. औसतन 50% बेरोजगारी बढ़ी है. जिस दुकानदार के पास पहले 14 से 15 कर्मचारी थे. अब महज 6 से 7 कर्मचारी ही रखे हैं.
नहीं बड़ा पिछले 2 से 3 महीने में भाव
ईटीवी भारत के रिपोर्टर अनूप शर्मा से बातचीत के दौरान एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी के प्रधान और अन्य कारोबारियों ने बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि बाजार के अंदर अनाज या फिर कहा जाए, तो दाल, चावल, गेहूं आदि के दामों में पिछले दो से तीन महीने के बीच में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. सभी दाम सामान्य हैं, बल्कि पिछले साल के मुकाबले बराबर ही है या फिर और कम हो गए हैं. बाजार में इतना मंदी का माहौल है कि दालों को उनकी एमएसपी से भी कम दामों पर बेचना पड़ रहा है. मूंग दाल की एमएसपी 7,300 रुपये है, लेकिन वर्तमान समय में, इसे कारोबारियों को 500 से 600 रुपये कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है, क्योंकि बाजार में मंदी का माहौल है.
रिटेल व्यापारियों की वजह से बढ़ी महंगाई
दिल्ली के रिटेल बाजार में दालों के दामों में पिछले कुछ दिनों में 10 से लेकर 15% तक की बढ़ोतरी देखने को मिली है. थोक व्यापारियों ने बताया कि रिटेल बाजार के व्यापारी अपने हिसाब से दालों पर मार्जन सेट करते हैं. कोई 30% मार्जिन सेट करता है, तो कोई 50%, जिसकी वजह से ग्राहक की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ता है. सरकार की तरफ से, अभी तक इन चीजों के ऊपर किसी प्रकार का कोई नियम नहीं बनाया गया है.
कब तक सुधरेंगे हालात
नया बाजार में व्यापार के हालातों पर कारोबारियों ने बताया कि हालात व्यापार के कब तक ठीक होंगे, यह कहना मुश्किल है, वह भी ऐसे समय में जब कोरोना के तीसरी लहर के बारे में चर्चा हो रही है.
पुलिस भी करती है परेशान
कुछ व्यापारियों ने बताया कि नया बाजार अनाज मंडी में पुलिस द्वारा भी व्यापारियों को कई बार माल की आवाजाही को लेकर अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है. जगह-जगह बैरिकेड लगाकर रास्ते बंद कर दिए जाते हैं. इसकी वजह से माल के आवाजाही में दिक्कत होती है.
किसान आंदोलन से कितना पडा असर
कारोबारियों ने बताया कि किसान आंदोलन के चलते, नया बाजार में व्यापार के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा है. सामान्य रूप से देखा जाए, तो दिल्ली में किसान आंदोलन का कुछ खास असर नहीं है. व्यापार को लेकर थोड़ी बहुत दिक्कत जरूर आई है. बॉर्डर से माल की आवाजाही में दिक्कत होती है. विशेष तौर पर हरियाणा के कोंडली और दूसरी जगहों में माल की सप्लाई ज्यादा होती है, लेकिन आंदोलन होने की वजह से उत्तर भारत के कुछ राज्यों में माल की सप्लाई करने के लिए लंबा घूमकर जाना पड़ता है. इसकी वजह से परेशानियां बढ़ी हैं.
पेट्रोल-डीजल भी चिंता का सबब
दिल्ली समेत पूरे देशभर में, इन दिनों पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. इसको लेकर व्यापारियों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अनाज के दामों में थोड़ी-बहुत वृद्धि माल की ढुलाई महंगी होने की वजह से भी होती है, जो कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से बढ़ती है. फिलहाल बाजार में अनाज के दाम पर, किसी प्रकार का कोई असर नहीं है. इसी तरह पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते रहे, तो अनाज के दामों में भी बढ़ोतरी बढ़ सकती है, क्योंकि माल ढुलाई भी महंगी होगी.
कारोबारियों को मिले राहत का पैकेज
नया बाजार अनाज मंडी के प्रधान नरेश गुप्ता ने सरकारों से अपील है कि वर्तमान समय में हालातों को देखते हुए और नया बाजार में कारोबारियों की परेशानी को देखते हुए व्यापारियों को सरकार की तरफ से आर्थिक तौर पर थोड़ी राहत मिलनी चाहिए.