नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) पीएम केयर्स फंड (pm cares fund) को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है.
दरअसल इस मामले पर पहले 18 नवंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन उस दिन चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच नहीं बैठी. इसके बाद याचिकाकर्ता ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की तब कोर्ट ने 10 दिसंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया.
बीते 11 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार (Central Government) ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) को बताया था कि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) में आने वाला धन भारत सरकार (Indian Government) के समेकित खाते में नहीं आता है. इसलिए ये कोई सरकारी फंड नहीं है.
केंद्र सरकार ने कहा था कि कोष में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है. पिछले छह अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने कहा कि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) राज्य का फंड घोषित करने की उन सारी शर्तों का पालन करता है जो संविधान की धारा 12 के तहत कही गई हैं.
दीवान ने उपराष्ट्रपति, रक्षा मंत्री समेत केंद्र के मंत्रियों और सरकार के उच्च अधिकारियों के सार्वजनिक अपीलों का उदाहरण दिया जिसमें आम लोगों और सरकारी कर्मचारियों से कहा गया था कि पीएम केयर्स फंड में दान करें. इन अपीलों से साफ है कि पीएम केयर्स फंड एक राष्ट्रीय फंड है जो भारत सरकार की ओर से गठित किया गया है. दीवान ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे हैं कि पीएम केयर्स फंड बुरा है, लेकिन इसे संविधान की परिधि में आना चाहिए.
पीएमओ जो कहे, लेकिन उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री तो इसे सरकारी फंड ही समझते हैं. उन्होंने कहा था कि संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति संविधान के बाहर की बात नहीं कर सकता है. क्या कोई कलेक्टर सरकारी अधिकार से निजी ट्रस्ट गठित करे और कहे कि ये निजी ट्रस्ट है. यही बात न्यायपालिका पर भी लागू होती है. यह कहना कि पीएम केयर्स फंड में दान देने वालों के नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है, एक अस्वस्थ परंपरा को जन्म देगा.
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23 सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) पर उसका नियंत्रण नहीं है और वो एक चैरिटेबल ट्रस्ट (Cheritable Trust) है. पीएमओ के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने हलफनामा में कहा है कि वो सूचना के अधिकार के तहत तीसरे पक्ष की सूचना का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
श्रीवास्तव ने कहा है कि वे ट्रस्ट में एक मानद पद पर हैं और इसके काम में पारदर्शिता है. हलफनामा में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) का ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है तो सीएजी के पैनल का है. पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) की ऑडिट रिपोर्ट इसके वेबसाइट पर अपलोड की जाती है.
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सम्यक गंगवाल की याचिका पर 17 अगस्त को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील श्याम दीवान ने सार्वजनिक और स्थायी फंड में अस्पष्टता पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पीएम केयर्स फंड के दुरुपयोग के आरोप नहीं लगा रहा है लेकिन भविष्य में भ्रष्टाचार या दुरुपयोग के आरोपों से बचने के लिए ये स्पष्टता जरूरी है.
दीवान ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड एक संवैधानिक पदाधिकारी के नाम से चलता है जो संविधान में निहित सिद्धांतों से बच नहीं सकता है और न ही वह संविधान के बाहर कोई करार कर सकता है.
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दीवान ने कहा था कि अगर कोर्ट को यह विश्वास नहीं है कि पीएम केयर्स फंड संविधान की धारा 12 के तहत एक राज्य का फंड है तो केंद्र को ये निर्देश देना चाहिए कि वो इस बात का व्यापक प्रचार-प्रसार करे कि यह फंड एक सरकारी स्वामित्व वाला फंड नहीं है. इसके साथ ही पीएम केयर्स फंड को अपने नाम या वेबसाइट में पीएम शब्द का उपयोग करने से रोकना चाहिए.
पीएम केयर्स फंड को अपनी वेबसाइट में डोमेन नाम gov का उपयोग करने से रोका जाए और फंड के आधिकारिक पते के रूप में पीएम कार्यालय का उपयोग करने से रोका जाना चाहिए.