नई दिल्ली: दिल्ली के शेल्टर होम में रहने वाले बच्चों को कोरोना संक्रमण के दौरान कम के कम तीन बार भोजन देने की अनुशंसा दिल्ली सरकार से की गई है. दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने मंगलवार को इस बात की सूचना दिल्ली हाईकोर्ट को दी. इसके बाद चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को, इस पर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि अगर वित्तीय स्थिति ठीक रहती है, तो दिल्ली सरकार शेल्टर होम में रहने वाले बेघर बच्चों को तीन समय का खाना देने का इंतजाम करे. डूसिब ने कहा है कि उसने दिल्ली सरकार से कहा है कि वो विशेषज्ञों की मदद से, इस बात की पड़ताल करे कि बेघरों को, जो खाना दिया जा रहा है, वो पर्याप्त पोषण दे रहा है कि नहीं.
ये भी पढ़ें : शेल्टर होम में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहा है एनजीओ
याचिका बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अनुप्रधा सिंह ने कहा है कि 25 सितंबर 2020 को डूसिब की बैठक हुई थी, जिसमें दिल्ली के शेल्टर होम में रहने वाले लोगों को ब्रेकफास्ट के साथ तीन समय का भोजन देने की अनुशंसा दिल्ली सरकार से की गई थी. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन लगाया था. इसकी वजह से मजदूरों का आवागमन बिल्कुल बाधित हो गया था और उनकी रोजी-रोटी पर गंभीर संकट पैदा हो गया था.
ये भी पढ़ें : कमला नगर शेल्टर होम का हाल देख चौंक गईं महिला बाल विकास मंत्री
याचिका में कहा गया है कि अधिकांश मजदूर शेल्टर होम में रह रहे हैं. उनमें से कई ऐसे हैं, जो दूसरे राज्यों से हैं और उनके पास दिल्ली का राशन कार्ड नहीं है. उन्हें अपने और बच्चों को खिलाने का साधन नहीं है. याचिका में मांग की गई है कि बेघर लोगों को ठहरने के लिए प्राथमिकता के आधार पर शेल्टर होम्स और कैंप स्थापित करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए. बेघर लोगों के लिए सभी शेल्टर होम में साबुन, डिटर्जेंट, सैनिटाइजर , हैंडवाश और मास्क उपलब्ध कराने के अलावा चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की भी मांग की गई है.