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बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण पर दिया जाए ध्यान- दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Jun 2, 2020, 12:11 PM IST

Delhi High Court expresses concern over bio medical waste being dumped at common dumping ground corona virus
दिल्ली हाईकोर्ट सफाईकर्मी कोरोना वायरस बायो मेडिकल कचरा कॉमन डंपिंग ग्राउंड

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण पर ध्यान देने की जरुरत है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि बायो मेडिकल कचरे को कॉमन डंपिंग ग्राउंड पर ही डाला जा रहा है. इससे कोरोना का खतरा बढ़ सकता है, खासकर के सफाई कर्मचारियों को जो इसे सबसे पहले उठाते हैं. अगर कोई व्यक्ति जाने अनजाने में संक्रमित पीपीई किट, ग्लब्स और मास्क के संपर्क में आता है तो उसे कोरोना का खतरा हो सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान कॉमन डंपिंग ग्राउंड पर बायो मेडिकल कचरा डाले जाने पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि इन बायो मेडिकल कचरे से सफाई कर्मचारियों को कोरोना के संक्रमण की सबसे ज्यादा आशंका है. क्योंकि ऐसे कचरे को सबसे पहले वही उठाते हैं.

जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद 9 जून तक इस मसले पर दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों को विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.

सरकार और निगमों की स्टेटस रिपोर्ट अधूरी

हाईकोर्ट ने पाया कि दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट अधूरी है. कोर्ट ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट में सफाई कर्मचारियों की संख्या और उन्हें रोजाना मिलने वाले मास्क, ग्लब्स और पीपीई किट की संख्या के बारे में नहीं बताया गया है.

कोर्ट ने कहा कि तीनों नगर निगमों ने ये भी नहीं बताया है कि उनके क्षेत्राधिकार में कितने कंटेनमेंट जोन घोषित किए गए हैं. ताकि कोर्ट से समझ सके कि सफाई कर्मचारियों को उनकी जरुरत के मुताबिक सुरक्षा उपकरण मिल रहे हैं कि नहीं.

'बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण पर दें ध्यान'

कोर्ट ने कहा कि बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण पर ध्यान देने की जरुरत है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि बायो मेडिकल कचरे को कॉमन डंपिंग ग्राउंड पर ही डाला जा रहा है. इससे कोरोना का खतरा बढ़ सकता है, खासकर के सफाई कर्मचारियों को जो इसे सबसे पहले उठाते हैं. अगर कोई व्यक्ति जाने अनजाने में संक्रमित पीपीई किट, ग्लब्स और मास्क के संपर्क में आता है तो उसे कोरोना का खतरा हो सकता है.

पिछले 27 अप्रैल को केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने लॉकडाउन के दौरान सफाईकर्मियों की सुरक्षा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के मुताबिक कई कदम उठाए हैं. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी मनिंदर आचार्य ने कहा था कि सफाईकर्मियों को अपने काम के दौरान काफी जोखिम का सामना करना पड़ रहा है. खासकर जब वे आईसीयू से निकलने वाले बायो मेडिकल कचरे की सफाई करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने भेजा था हाईकोर्ट

याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हरनाम सिंह ने दायर की है. हरनाम सिंह ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. पिछले 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हरनाम सिंह के वकील महमूद प्राचा को हाईकोर्ट जाने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महमूद प्राचा ने कहा था कि सफाई कर्मचारियों और उनके परिजनों को काफी खतरा है. उन्हें कोई किट नहीं मुहैया कराया जाती है.

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि स्पेशल पीपीई किट डॉक्टरों और नर्सों के लिए है. सफाई कर्मचारियों और कोरोना वॉरियर्स के लिए दूसरे उपकरण दिए जाते हैं. तब प्राचा ने कहा था कि सफाई कर्मचारियों की रोजाना मौत हो रही है. आप खबरें देखिए. एक सफाई कर्मचारी की मुंबई में मौत हो गई. तब सुप्रीम कोर्ट ने प्राचा से कहा था कि किसी खास मामले के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाइए.

'सुरक्षा किट के अभाव में हो रही है मौत'

याचिका में कहा गया है कि सुरक्षा किट के अभाव में पूरे देश में सफाईकर्मचारियों की मौत हो रही है. कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से सफाईकर्मी भी कोरोना के संपर्क में आ रहे हैं. अगर सफाईकर्मी संक्रमित होंगे तो उनका परिवार भी इससे संक्रमित हो जाएगा. इस तरह इस बीमारी का सामुदायिक संक्रमण होने का खतरा हो सकता है.

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