नई दिल्लीः राजधानी में इन दिनों प्रदूषण लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. एक तरफ़ जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार बढ़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ़ सरकार का अभियान भी फ़ेल साबित हो रहा है. हाल ही में आई सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट की रिसर्च कहती है कि राजधानी में प्रदूषण के पीछे सबसे बड़ा कारण वाहन है. वहीं, धूल और ओपन बर्निंग से होने वाला प्रदूषण सबसे कम है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए सरकार से दो दिन का लॉकडाउन लगाने पर विचार करने के लिए कहा है. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों से उनका प्लान भी पूछा गया है. सेंटर फ़ॉर साइंस एंड इन्वायरॉन्मेंट की स्टडी में वाहनों को दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना गया है. स्टडी कहती है कि सर्दियों के शुरुआत से वाहनों से होने वाला प्रदूषण दिल्ली में 50 फ़ीसदी तक बढ़ गया है. ख़ास बात है कि जिन श्रोतों को आधार बनाकर दिल्ली सरकार प्रदूषण पर कम करने की बात कर रही है, वो इसके लिए सबसे कम ज़िम्मेदार माने गए हैं. इसमें कूड़ा जलाने को 4.6-4.9% और धूल उड़ने को 3.6-4.1% तक ज़िम्मेदार माना गया है. इन दिनों सरकार रेड-लाइट ऑफ़ गाड़ी ऑन जैसे अभियान भी चला रही है, लेकिन जब भी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने की बात आती है, तब सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर बात अटक जाती है.
ये भी पढ़ें-#DelhiPollution: प्रदूषण को लेकर केजरीवाल ने बुलाई आपात बैठक, मंत्री व अधिकारी रहेंगे मौजूद
मौजूदा समय में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक आपात बैठक बुलाई है, जिसमें तमाम बड़े नेता और अधिकारी मौजूद रहेंगे. कहा जा रहा है कि प्रदूषण को लेकर सरकार कोई महत्वपूर्ण फ़ैसला ले सकती है. इससे पहले, दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब श्रेणी में पहुंच रहा है. दिल्ली के मथुरा रोड पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 518 है. आंनद विहार में ये 470, पूसा 485, IGI एयरपोर्ट 485, ITO 486, बवाना 448, लोधी रोड 476, रोहिणी 464, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम 487, मंदिर मार्ग 454 और वज़ीरपुर में 480 दर्ज हुआ.