नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ रणवीर सिंह ने रविवार को नामांकन के समय में आने वाली कठिनाइयों का समाधान करने के लिए सभी डीएम को विशेष प्रकार के निर्देश दिए हैं, जिसमें ट्रांसजेंडर से लेकर बेघर नागरिकों और अधिक उम्र के नागरिक से मिलने को लेकर निर्देश दिए गए हैं. ताकि सभी की समस्याओं का समाधान समय रहते निकाला जा सके. साथ ही मतदाता सूची में लिंग अनुपात में भी सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
आगामी साल में दिल्ली के अंदर दिल्ली नगर निगम के मुख्य चुनाव होंगे. इस बीच दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ रणवीर सिंह ने अपने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को मतदाता नामांकन के संबंध में आने वाली किसी भी कठिनाई को समझने और उनका समाधान करने के लिए कुछ ट्रांसजेंटर मतदाताओं से मिलने के निर्देश जारी किए हैं, जिससे ट्रांसजेंडर की सहायता सही से की जा सके.
बता दें, राजधानी दिल्ली में इस समय 941 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं, जिसमें सबसे अधिक मतदाता दक्षिण पश्चिमी दिल्ली में है, जिनकी संख्या 136 है. सबसे कम ट्रांसजेंडर मतदाता उत्तर पूर्वी दिल्ली में हैं, जिनकी संख्या 35 है. इसी प्रकार दिव्यांग मतदाताओं को मतदाता के रूप में नामांकन करने की सुविधा दी जानी चाहिए और चुनाव के दौरान विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए निर्वाचक नामावली में दिव्यांग मतदाताओं के नाम भी अंकित करवाए जाने चाहिए. इसी कड़ी में बेघर लोगों को भी सुविधा दी जानी चाहिए. ताकि चुनावों के समय मतदान से मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करने से न चुके. इस पूरी प्रक्रिया को लेकर गैर सरकारी संगठनों और कई नागरिक संगठनों की सहायता लेने की भी निर्देश निर्वाचन अधिकारी द्वारा दिए गए हैं.
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मुख्य चुनाव अधिकारी ने दिल्ली के सभी जिला चुनाव अधिकारियों को 18-19 वर्ष और 20 से 29 वर्ष की आयु के युवा मतदाताओं के नामांकन की जो प्रक्रिया है. उसे तेज करने के निर्देश भी दिए हैं, जिससे कि किसी भी मतदाता का नाम सूची से मिस न हो जाए. साथ ही उन्होंने सभी युवा मतदाताओं से अपील भी की है कि वे आगे आए और लोकतंत्र के गौरवान्वित मतदाता बने और अपने मतों के अधिकार का प्रयोग करें. साथ ही अपना मतदाता पहचान पत्र जरूर बनवाएं. डीईओ को भी सभी जिलों में महिला मतदाताओं का नामांकन दर्ज करके मतदाता सूची में लिंग अनुपात में सुधार करने का निर्देश आज जारी कर दिए गए हैं.
सीईओ दिल्ली ने यह भी निर्देश दिया है कि 80 वर्ष और 100 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग मतदाताओं का सत्यापन किया जाना चाहिए. ताकि उन्हें चुनाव के दौरान अपने मत के अधिकार का प्रयोग करने के लिए सभी सुविधाएं मिले और इसको लेकर भी एक सटीक सूची होनी चाहिए. ताकि सभी लोगों को अपने मतों का अधिकार प्रयोग करने के लिए सुविधाएं मिल सके.