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मूवर्स एंड पैकर्स से सामान भेजने पर बरतें सावधानी ! क्राइम ब्रांच ने फर्जी कंपनी का किया भंडाफोड़

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Published : Jan 3, 2022, 10:31 AM IST

फर्जी मूवर्स एंड पैकर्स
फर्जी मूवर्स एंड पैकर्स

दिल्ली क्राइम ब्रांच (Delhi Crime Branch) ने एक फर्जी मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी (Fake Movers and packers Company) का भंडाफोड़ किया है, जो गाड़ी डिलीवरी के नाम पर लोगों से ठगी करते थे. साइबर सेल की टीम ने आरोपी को यूपी के गाजियाबाद (Ghaziabad) से ट्रैप किया था.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Delhi Crime Branch) की साइबर सेल टीम ने बीते एक जनवरी को साइबर चीटर को गाजियाबाद (Ghaziabad) से गिरफ्तार किया है, जो फर्जी मूवर्स एंड पैकर्स कम्पनी (Fake Movers and packers Company) के नाम पर लोगों से उनकी गाड़ी को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाने के बहाने चीटिंग करता था. आरोपी के पास से टीम ने मोबाइल और सिम कार्ड बरामद किए हैं.

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए चीटर की पहचान शुभम कौशिक के रूप में हुई है. यह गाजियाबाद के इंद्रप्रस्थ का रहने वाला है. आरोपी ने केवल सातवीं तक की पढ़ाई की है और अलग-अलग जगहों पर छोटे-मोटे काम भी कर चुका है. आरोपी बीते साल रिलेटिव के साथ काम करने के लिए बेंगलुरू गया था. वहां जाकर यह काम करने की बजाय दूसरे साथी के साथ मिलकर चीटिंग करने लगा.

मूवर्स एंड पैकर्स से सामान भेजने पर बरतें सावधानी !

क्राइम ब्रांच के डीसीपी मनोज सी के अनुसार, बीते 15 दिसंबर को सिविल लाइन थाने में एक FIR दर्ज की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि वह अपने चेन्नई शहर में ट्रांसपोर्ट के जरिए कार भेजना चाह रहा था. इसके लिए उसने गूगल पर पैकर्स और मूवर्स के बारे में सर्च किया.

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उसके बाद वीआरएल मूवर्स एंड पैकर्स (VRL movers and packers) की तरफ से एक शख्स का कॉल आया था. 26 नवंबर को तीरथ राम हॉस्पिटल सिविल लाइन के पास से उनकी कार गंतव्य स्थान पर भेजने के लिए कॉल आया. पीड़ित ने 14 हजार रुपये गूगल पे के जरिए आरोपी के मोबाइल पर भेजा, लेकिन उसके बाद फिर 38 हजार की डिमांड की. डीजल, इंश्योरेंस, जीएसटी आदि के लिए. उसके बाद आरोपी ने फोन कॉल उठाना बंद कर दिया. उसकी कार को भी डिलीवर नहीं किया गया.

साइबर सेल के एसीपी मयंक बंसल की देखरेख में इंस्पेक्टर वीरेंद्र, एसआई राकेश मलिक, मनीष, हेड कांस्टेबल मोहित, विकास, कांस्टेबल गौरव और अक्षय की टीम ने इस मामले में छानबीन शुरू की और टेक्निकल सर्विलेंस के आधार पर एक आरोपी को गाजियाबाद के पास ट्रेप कर लिया.

पुलिस के अनुसार, उसकी पहचान शुभम कोशिक के रूप में हुई. जब पूछताछ हुई तो ठगी के पूरे मामले का खुलासा हुआ. पता चला कि यह लोग फर्जी मूवर्स एंड पैकर्स कंपनी वीआरएल (VRL movers and packers) के नाम से चलाते हैं. लोगों को फंसाने के लिए गूगल पर एड देते रहते हैं.

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