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दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के आरोपी खालिद सैफी की जमानत याचिका खारिज

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Published : Apr 8, 2022, 8:54 PM IST

सुनवाई के दौरान खालिद सैफी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि अभियोजन पक्ष का ये कहना कि नागरिकता संशोधन कानून के लोकसभा में पारित होने के बाद खालिद सैफी का जंतर-मंतर पर जाना एक साजिश का हिस्सा है.

Delhi Court rejects bail plea of United Against Hate founder Khalid Saifi in Delhi riots case
Delhi Court rejects bail plea of United Against Hate founder Khalid Saifi in Delhi riots case

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आज दिल्ली हिंसा के आरोपी खालिद सैफी की जमानत याचिका खारिज कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत खारिज करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने 16 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान खालिद सैफी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि अभियोजन पक्ष का ये कहना कि नागरिकता संशोधन कानून के लोकसभा में पारित होने के बाद खालिद सैफी का जंतर-मंतर पर जाना एक साजिश का हिस्सा है. उन्होंने कहा था कि जंतर-मंतर एक विरोध स्थल है जहां लोग अपना विरोध जताने जाते हैं. उन्होंने कहा था कि अभियोजन के पास इस बात के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं कि खालिद सैफी 2019 में उमर खालिद से मिला या उमर खालिद ने खालिद सैफी से खुरेजी में विरोध प्रदर्शन करने के लिए कहा.

रेबेका जॉन ने खालिद सैफी के मैसेज का स्क्रीन शॉट शेयर किया था, जिसमें लिखा था कि दिल्ली हिंसा के लिए पुलिस जिम्मेदार है और दिल्ली के मुख्यमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. प्रदर्शन उनके आवास के सामने होना चाहिए. रेबेका जॉन ने कहा कि खालिद सैफी के मैसेज से केवल ये पता चलता है कि उसने कहा कि दिल्ली पुलिस हिंसा को काबू करने में नाकाम रही और इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.

3 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने कहा कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काला धन को सफेद करने का काम दिया. अमित प्रसाद ने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई.

इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. इसमें गोली चलने की 13 घटनाएं घटी। दूसरी वजहों से 6 मौतें दर्ज की गई. इस दौरान 581 एमएलसी दर्ज किए गए. इस हिंसा में 108 पुलिसकर्मी घायल हुए जबकि दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इस हिंसा से जुड़े करीब 24 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने कहा था कि इस पूरी घटना में किसी भी साजिशकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ. अगर किसी का नुकसान हुआ तो वो आम लोग थे.

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2 फरवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर हिंसा की योजना की साजिश रची गई जिससे आंदोलनों में जुटे स्थानीय लोगों का कोई लेना-देना नहीं थी. सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर बाहर से आए लोगों ने हिंसा की योजना को अंजाम दिया. अब ये स्थानीय लोग अभियोजन की मदद कर रहे हैं. अमित प्रसाद ने कहा था कि हिंसा शुरु होने के बाद चुप्पी की साजिश देखी गई. उस साजिश पर से पर्दा देने की कोशिश की गई. अमित प्रसाद ने कहा था कि 22 फरवरी 2020 को हिंसा शुरु नहीं हुई थी. उस समय आरोपियों की गतिविधियां जारी थीं. उसमें स्थानीय लोग शामिल नहीं किए गए.

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