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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में वकीलों को हो रही दिक्कतें, बीडीसी ने मांगा विकल्प

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Published : Apr 14, 2020, 11:10 PM IST

Delhi Bar Council writes letter to Delhi High Court Chief Justice DN Patel
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में वकीलों को हो रही दिक्कतें, बीडीसी ने मांगा विकल्प

बीसीडी ने कहा है कि अगर नियमित सुनवाई संभव नहीं है तो सुरक्षित तरीके को अपनाते हुए कुछ अदालतों के संचालन की अनुमति दी जाए. कई वकील ऐसे हैं जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. उनके लिए ऐप विकसित करने पर विचार किया जाए या कोई दूसरा मेकानिज्म तैयार किया जाए.

नई दिल्ली : दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल को पत्र लिखकर मांग की है कि जो वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते हैं उनके लिए एक ऐप बनाई जाए या कोई दूसरा तरीका अपनाया जाए.

गंभीर स्थिति से गुजर रहा देश

बीसीडी के चेयरमैन केसी मित्तल ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना की वजह से देश काफी गंभीर स्थिति से गुजर रहा है. इसकी वजह से विकसित देशों में काफी मौतें हो चुकी हैं, लेकिन भारत में लॉकडाउन की वजह से हमें इसे रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है. कोर्ट का कामकाज भी बाधित हो गया है और काफी महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है.

कई वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल नहीं हो सकते

बीसीडी ने कहा है कि इस दौरान हाईकोर्ट और निचली अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले उन वकीलों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जो कम्प्युटर से ठीक से वाकिफ नहीं हैं. ऐसे में वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते हैं. बीसीडी ने कहा है कि कई वकीलों ने शिकायत की है कि वे कई अति महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट का रुख करने में असमर्थ हैं.

पक्षकार जमानत के लिए नहीं जा पा रहे

बीसीडी ने पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए हाईकोर्ट ने कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए एक मैकेनिज्म विकसित करने की जरूरत है ताकि पक्षकारों को राहत मिल सके. पक्षकार जमानत के लिए कोर्ट नहीं जा पा रहे हैं. लॉकडाउन से पहले जो जमानत याचिकाएं दायर की गई थीं वे लंबित पड़ी हुई हैं. कई जमानत याचिकाओं में पुलिस को नोटिस भी जारी किया जा चुका है. लेकिन उनकी लिस्टिंग नहीं होने की वजह से कैदी जेल में रहने को अभिशप्त हैं. बीसीडी ने कहा है कि अगर हाईकोर्ट ऐप विकसित करने पर कोई आदेश देती है तो वो उसमें पूरा सहयोग करेगी।

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