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DCW चीफ ने तिहाड़ में महिला जेल का किया निरीक्षण, सुनी व्यथा, दिया भरोसा

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Published : Jul 13, 2021, 12:10 PM IST

dcw chief swati maliwal visited Tihar Women's Jail
दिल्ली महिला आयोग की टीम तिहाड़ जेल पहुंची.

दिल्ली महिला आयोग की टीम ने तिहाड़ जेल महिला जेल का निरीक्षण किया. इस दौरान DCW की चीफ स्वाति मालीवाल ने महिला कैदियों और उनके बच्चों के भविष्य को लेकर प्रशासन से चर्चा की.

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की टीम ने शनिवार को दिल्ली के तिहाड़ जेल के महिला जेल का निरीक्षण किया. इस दौरान आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल मौजूद रहीं. जिन्होंने तिहाड़ के डीजी और अन्य उच्च अधिकारियों से मुलाकात की और जेल से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की.

आयोग ने बताया जेल अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक महिला जेल में इस वक्त 276 महिला कैदी है, जिसमें से 240 महिला कैदियों पर मुकदमा चल रहा है, जबकि 35 महिला कैदियों को कोर्ट द्वारा सजा सुनाई जा चुकी है. आयोग ने बताया कि जेल के भीतर हर एक सेल में 3 महिलाओं को रखा जाता है, और उस सेल में बिना दरवाजे या दीवार के ही शौचालय बने हुए हैं, जिसे महिला कैदी इस्तेमाल करती हैं यह महिला कैदियों के साथ एक अमानवीय स्थिति को दर्शाता है आयोग ने प्रशासन को सुझाव दिया कि इस सेल में बने टॉयलेट की दीवार या दरवाजा बना कर उन्हें ढका जाए.

dcw chief swati maliwal visited Tihar Women's Jail
दिल्ली महिला आयोग की टीम तिहाड़ जेल पहुंची.

इसके साथ ही जेल परिसर में एक लीगल सेल भी बना हुआ है, जिसके अंतर्गत हर रोज दोपहर 3:00 बजे के बाद एक वकील आता है, जो महिला कैदियों की सहायता करता है और उन्हें सुझाव देता है, जिसको लेकर आयोग ने जेल प्रशासन को सुझाव दिया कि कैदियों की संख्या को देखते हुए कम से कम 5 वकील जेल परिसर में सुबह से शाम तक उपलब्ध रहें, तो कैदियों के केस से जुड़े मुद्दों में उन्हें सहायता मिलेगी.

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तिहाड़ जेल अधिकारियों के मुताबिक कोरोना काल से पहले जेल में 'मुलाकात' नामक एक कार्यक्रम चलाया जा रहा था, जिसके अंतर्गत कैदियों को अपने परिजन से मिलने की अनुमति थी, लेकिन कोरोना के चलते इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया. जिसके बाद आयोग द्वारा सुझाव दिया गया कि जब तक कोरोना के मामले कम है, तब तक इस कार्यक्रम को दोबारा से शुरू किया जा सकता है, इसके साथ ही जेल में रह रहे कैदियों को अपने परिजनों से फोन या डाक के जरिए बात करने की सुविधा में भी सुधार की आवश्यकता है.

तिहाड़ जेल परिसर में कैदियों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा सही बेहतरीन सुविधाएं भी चलाई जा रही हैं, जिसमें महिला कैदियों के लिए फैशन डिजाइनिंग, मेकअप कोर्स, कंप्यूटर कोचिंग, योग इत्यादि के कोर्स कराए जाते हैं, लेकिन कोरोना के चलते इन सब कोर्स के टीचर अभी उपलब्ध नहीं है, जिसको लेकर आयोग में सुझाव दिया की अच्छी टीचर्स को लगाकर इन कोर्सो को दोबारा शुरू किया जा सकता है, इसके साथ ही जेल में काम करने वाली महिलाओं को प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी मिलती है, लेकिन एक आर्डर के तहत उनकी मजदूरी में से रखरखाव के नाम पर ₹340 का शुल्क काट लिया जाता है, हालांकि जो कैदी काम नहीं करते उन्हें ऐसा कोई शुल्क नहीं देना पड़ता ऐसे में आयोग ने सुझाव दिया की जेल में मेहनत मजदूरी करने वाली महिलाओं के साथ ये भेदभाव है, इसलिए इस शुल्क को समाप्त किए जाने की आवश्यकता है.

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इसके साथ ही तिहाड़ जेल में रह रही महिलाएं कपड़े ऑफिस फाइल बिस्किट नमकीन इत्यादि बनाने का उत्पादन भी करती हैं, जिसे तिहाड़ जेल में TJ ब्रांड के नाम से बेचा जाता है, जबकि आयोग ने सुझाव दिया कि महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे सामान को सरकारी विभागों में भी इस्तेमाल किया जाए, इसके साथ ही ऐमेज़ॉन, ग्रोफर इत्यादि जैसे ऑनलाइन शापिंग प्लेटफॉर्म पर भी इसे बेचने का प्रयास किया जाए, क्योंकि इसकी बिक्री से आने वाला पैसा महिलाओं के साथ रह रहे बच्चों के पुनर्वास में इस्तेमाल होगा. इसके साथ ही आयोग ने महिला कैदियों और जेल में कर्मियों के लिए सैनिटाइजेशन, महिला कैदियों के पुनर्वास के लिए प्लान, लाइब्रेरी में किताबों की संख्या बढ़ाए जाने और नशा मुक्ति कार्यक्रम पर भी ध्यान देने के सुझाव दिए.

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आयोग ने जानकारी दी कि जिन महिला कैदियों के बच्चे छोटे हैं वह उनके साथ ही जेल में रहते हैं, उन बच्चों की देखभाल के लिए जेल में अच्छी सुविधाओं से युक्त क्रेच की सुविधा मौजूद है, आयोग ने सुझाव दिया कि इस क्रेच में अच्छे टीचर्स और केयर टेकर लाकर बच्चों के भविष्य को बेहतरीन बनाया जा सकता है, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने निरीक्षण के बाद कहा कि हमने देखा कि तिहाड़ जेल में 80 फ़ीसदी महिलाएं वह हैं जिनके केस कोर्ट में चल रहे हैं उन्हें अभी तक सजा नहीं हुई है. यह जरूरी है कि जेल का रखरखाव बेहतर हो जिससे कि यह महिलाएं वापस समाज में आए और वह अपनी जिंदगी एक नए सिरे से शुरू कर पाए. इसके मद्देनजर हमने सरकार और जेल प्रशासन को भी सुझाव दिए हैं.

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