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कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फिर लताड़ा, कहा-दिल्ली दंगा जांच में कोई प्रगति नहीं

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Published : Sep 28, 2021, 10:51 PM IST

court again reprimanded police on delhi riots case
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फिर लताड़ा

दिल्ली दंगों में जांच को लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एक बार फिर फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर की ओर से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल गठित करने के बावजूद जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस को फिर फटकार लगाई है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर की ओर से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल गठित करने के बावजूद जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है.

कोर्ट ने कहा कि 26 अप्रैल को FIR दर्ज करने का आदेश देने के करीब दो महीने के बाद 7 जून को FIR दर्ज की गई. कोर्ट में मौजूद जांच अधिकारी ने बताया कि इस मामले में गोकुलपुरी पुलिस ने कोई जांच आगे नहीं बढ़ाई है. FIR में दर्ज नामजद आरोपियों से अभी तक कोई पूछताछ नहीं की गई है. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि जांच कोरोना संक्रमण की वजह से जांच ठीक से नहीं हो सकी.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने पिछले 19 जुलाई को दिल्ली हिंसा की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल गठित करने का आदेश दिया है. तब कोर्ट ने कहा कि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल गठित करने के बावजूद जांच में प्रगति नहीं होना खेदजनक है. कोर्ट ने नवनियुक्त स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर को जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट
इससे पहले 26 अप्रैल को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि जांच में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ठीक से निगरानी नहीं की है. दरअसल, नवंबर 2020 में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राकेश रामपुरी ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि दिल्ली हिंसा के दौरान रेडीमेड कपड़ों के व्यापारी निसार अहमद की उस शिकायत पर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसमें दावा किया गया था कि हिंसा के दौरान बुर्का पहनने वाली महिलाओं की हत्या की गई थी. उनके शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया गया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सेशंस कोर्ट में अर्जी दायर किया था.


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दिल्ली पुलिस की अर्जी को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी कानून के गलत पक्ष के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल हुई हिंसा से संबंधित कई मामलों की जांच में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने निगरानी नहीं की है. कोर्ट ने कहा कि अब भी समय है, अगर वरिष्ठ अफसर इन मामलों की जांच कर सुधारात्मक कदम उठाए तो पीड़ितों को न्याय मिल सकता है.

सुनवाई के दौरान गोकलपुरी थाने के जांच अधिकारी आशीष गर्ग ने अपने जवाब में कहा था कि उन्होंने दूसरे शिकायतकर्ता आस मोहम्मद की शिकायत पर एफआईआर नंबर 78 दर्ज किया था. उसके बाद शिकायतकर्ता ने 4 मार्च को लिखित शिकायत दी, जिसे एफआईआर नंबर 78 में ही क्लब कर दिया गया. उन्होंने शिकायतकर्ता के इस आरोप को गलत बताया कि बुर्का पहनी महिलाओं के शवों को भागीरथी विहार नाले में फेंका गया था.

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जांच अधिकारी ने कहा था कि उसने एफआईआर नंबर 78 के संबंध में चार्जशीट दाखिल कर दिया है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने पाया था कि ये समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस शिकायतकर्ता के सभी आरोपों की जांच कैसे करेगी, जबकि उसने एफआईआर नंबर 78 में चार्जशीट भी दाखिल कर दिया है. शिकायतकर्ता ने शिकायत की है कि कुछ शवों को नाले में फेंका गया. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा था कि इस मामले की सच्चाई जानने के लिए जांच जरुरी है. ऐसे में एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए.

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