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National Pollution Control Day : दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में देश की राजधानी दिल्ली

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Published : Dec 2, 2021, 6:01 AM IST

Updated : Jan 3, 2022, 4:21 PM IST

हर साल की तरह इस बार फिर 2 दिसंबर को देश राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (National Pollution Control Day) मना रहा है. आज हम प्रदूषण से मुक्त होने का संकल्प लेते हैं, लेकिन हर साल देश में प्रदूषण स्तर बढ़ता जा रहा है. हालात इतने खराब हैं कि देश की राजधानी दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गई है.

National Pollution Control Day
National Pollution Control Day

नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली (Pollution in delhi) में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. इतना मुश्किल कि दिल्ली के एक निवासी ने कोर्ट में याचिका दायर कर बढ़ते प्रदूषण की वजह से मुआवजे की मांग की है. यमुना में बहती झाग, मानो पानी पर बर्फ बह रहा हो, लेकिन नहीं, यह यमुना में प्रदूषण का अंजाम है. दिल्ली की हवा-पानी सब प्रदूषित है और यह प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है.

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution) को लेकर बार-बार हरियाणा और पंजाब पर इसका ठीकर फोड़ा जा रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कई बार हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली (Haryana And Punjab stubble burning) को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण बता चुके हैं. क्या वाकई दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर हरियाणा और पंजाब जिम्मेदार हैं. ये तो खैर विवाद का विषय है कि कितने प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार है. दिल्ली के प्रदूषण पर राजनीति खूब हो रही है. केंद्र और राज्य सरकार एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही हैं.

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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. रविन्द्र खैवाल कहते हैं इस समस्या को समझने के लिए हमें दिल्ली की ज्योग्राफिक कंडीशन को समझना होगा. दिल्ली की ज्योग्राफिक शेप बाउल शेप की है. इस वजह से वहां प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता. वहीं इस मौसम में हवा हरियाणा, पंजाब से दिल्ली की ओर बहती है, जिससे यहां पर होने वाला प्रदूषण भी दिल्ली की ओर जाता है. इससे वहां प्रदूषण में इजाफा हो जाता है. केवल पराली जलने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है यह कहना सरासर गलत है. पर्यावरण एक्सपर्ट से खास बातचीत. एक रिपोर्ट के अनुसार पराली जलने की वजह से दिल्ली के प्रदूषण में 4 से 7 प्रतिशत इजाफा ही होता है, लेकिन कोई एक या दो दिन जब पराली ज्यादा जलती है या दिल्ली की ओर हवा ज्यादा बहती है तब ये बढ़कर 30 प्रतिशत तक होता है. इससे यह साफ है कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली अकेली जिम्मेदार नहीं है.

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डॉ. रविन्द्र खैवाल ने कहा कि दिल्ली का अपना प्रदूषण बहुत है. दिल्ली में वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है, जो वहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं. इसके अलावा धूल कण से भी प्रदूषण फैलता है और फैक्ट्रियों से भी बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलता है. उन्होंने कहा कि सर्दियां शुरू होते ही हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है, क्योंकि प्रदूषण के कण हवा में जमा हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि इंसान मौसम को तो बदल नहीं सकता, लेकिन प्रदूषण को रोकने के लिए काम कर सकता है. डॉक्टर खैवाल ने कहा कि डीजल बसें प्रदूषण फैलाने वाले मुख्य कारणों में से एक हैं. इसलिए हमें यह समझना पड़ेगा कि डीजल बसों की वजह से कितना प्रदूषण फैल रहा है. उसे कम करने के लिए हम क्या कदम उठा सकते हैं.इस समय शहरों में डीजल बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है, लेकिन प्रदूषण कम करने को लेकर उतना काम नहीं किया जा रहा. वहीं अगर पराली जलाने की बात की जाए तो साल 2019 में हरियाणा में 5 हजार 500 स्पॉट दर्ज किए गए थे. जबकि साल 2020 में यह 5 हजार हुए और इस साल अब तक ये 8 हजार तक हो चुके हैं.

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देश में बढ़ता प्रदूषण (Pollution in india) खतरे का कारण बनता जा रहा है. सांस संबंधी रोग से लोगों का जीना दूभर हो गया है. भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, 10 में से नौ लोगों को स्वच्छ हवा नसीब नहीं हो रही है. हवा में मौजूद प्रदूषण के कण न सिर्फ फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि मस्तिष्क और ह्रदय के लिए भी घातक हैं. वायु प्रदूषण ही है, जो ओजोन परत के नष्ट होने के लिए जिम्मेदार है. ऐसे में बढ़ते प्रदूषण के खतरे से लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, हर साल दुनियाभर में लगभग 70 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं. हालत इतनी बदतर है कि वैश्विक स्तर पर दस में से नौ लोगों को स्वच्छ हवा नसीब नहीं हो रही.

दो दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

भोपाल गैस त्रासदी से प्रभावित लोगों की याद में हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. भोपाल गैस आपदा को दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा माना जाता है और यह अत्यधिक हानिकारक मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस के रिसाव के कारण हुई थी. इस त्रासदी में लगभग 3787 लोग मारे गए थे. पटाखे, बम विस्फोट, औद्योगिक क्षेत्रों से जहरीली गैसों का रिसाव, वाहनों से निकलने वाला धुआं आदि प्रदूषण के कारण हैं. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक आपदाओं के नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलाना और प्रदूषण के नियंत्रण की दिशा में प्रयास करना है. इसके साथ ही इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को हमारी वायु, जल और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रोत्साहित करना है. प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं. हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों की ओर ध्यान देने और लोगों और मुख्य रूप से उद्योगों में जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है.

पिछले साल 1 दिसंबर 2020 को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)

1. मेरठ, उत्तर प्रदेश342
2.मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश 329
3.पीतमपुरा, दिल्ली 324
4.डासना उत्तर प्रदेश322
5. बवाना दिल्ली 316
6. लोनी, उत्तर प्रदेश 312
7. ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश 304
8.धारूहेड़ा, हरियाणा 292
9.बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश289
10. दौराला, उत्तर प्रदेश 283

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Last Updated : Jan 3, 2022, 4:21 PM IST
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