नई दिल्ली: गणेश चतुर्थी के पावन त्योहार के साथ देशभर में त्योहारों के सीजन की शुरुआत हो गई है. इस अवसर पर कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल (CAIT Secretary General Praveen Khandelwal) ने जानकारी देते हुए बताया कि चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान को अब कैट (Confederation of All India Traders ) धार देने जा रहा है. इस वर्ष बीते 2 वर्षो की भांति पूरे देशभर में चीन से बनी भगवान श्री गणेश की मूर्तियों का आयात नहीं किया गया है, जिसका सीधे तौर पर फायदा स्वदेशी कारीगरों को होगा. इस वर्ष लगभग 300 करोड़ का गणेश की मूर्तियों का कारोबार हुआ है.
देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जानकारी साझा करते हुए बुधवार को यह बताया कि आज से देशभर में हर्षोल्लास और उत्साह से साथ के साथ मनाए जा रहे गणेश चतुर्थी के साथ गणेश उत्सव के त्योहार के साथ ही इस साल का त्यौहारी मौसम शुरू हो गया है. इससे इस बार देशभर के व्यापारियों को उम्मीदें काफी बड़ गई है. वहीं इस बीच आज से देशभर में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान को भी और तेज कर दिया है. गणेश चतुर्थी के अवसर पर देशभर में व्यापारियों द्वारा अपने अपने घरों में श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है. गणपति को विघ्नहर्ता और कष्ट निवारक के रूप में जाना जाता है. कैट ने देशभर के व्यापारियों से इस वर्ष अपने अपने घरों में स्वदेश में निर्मित श्री गणेश जी की स्थापना करने का आग्रह किया था. इसका असर भी देखने को मिला है. गणपति महोत्सव देशभर में आगामी 9 सितंबर तक बहुत धूमधाम से मनाया जाएगा तथा अनंत चतुर्दशी के दिन 9 सितंबर को गणपति जी की मूर्तियों का विसर्जन होगा.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की एक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष देश में लगभग 20 करोड़ से ज्यादा गणेश मूर्तियां खरीदी जाती हैं. इनसे अनुमानित करोड़ों रुपये का व्यापार होता है. पिछले दो वर्षों से देशभर में बड़ी मात्रा में गणेश जी की ईको-फ्रेंडली मूर्तियों को स्थापित करने का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है. इससे पहले चीन से बड़ी मात्रा में गणेश जी की प्लास्टर ऑफ़ पेरिस, स्टोन, मार्बल तथा अन्य सामान से बनी मूर्तियां सस्ती होने के कारण आयात होती थी लेकिन पिछले दो वर्षों कैट द्वारा चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान के चलते चीन से गणेश मूर्तियों का आयात बंद हो गया है. वहीं स्थानीय शिल्पकारों, कारीगरों और घरों में काम करने वाले कुम्हार तथा उनके परिवार की महिलाएं मिट्टी, एवं गोबर से गणेश जी की मूर्तियां बनाती हैं जिनका विसर्जन आसानी से हो जाता है. बीते दो वर्षों से ही अब ऐसी मूर्तियां बन रही हैं जिनको विसर्जित करने की बजाय पेड़-पौधों में मिलाया जाता है. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता. इन मूर्तियों की वजह से देशभर में लाखों लोगों को कारोबार मिलता है.
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विख्यात ज्योतिष आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया की गणेश चतुर्थी के त्योहार में कुछ खास चीजों का इस्तेमाल होता है. इन चीजों के बगैर गणेश चतुर्थी की पूजा अधूरी मानी जाती है जिसमें गंगाजल, धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, मूर्ति स्थापित करने हेतु चौकी, लाल रंग का कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, रोली, चावल, मिट्टी का कलश, जटा वाला नारियल, फल, सुपारी, लड्डू, मौली, पंचामृत, लाल चंदन, पंचमेवा आवश्यक है जिनसे गणपति की स्थापना की जाती है.