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पराली के धुएं का समाधान बायो-डिकॉम्पोज़र घोल, लेकिन वाहनों के प्रदूषण से कौन बचाएगा!

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Published : Sep 28, 2021, 10:36 PM IST

सितंबर के महीने से राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की चिंता सताने लगती है. अक्टूबर का महीना करीब आ रहा है और ऐसे में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली नहीं जलाने और इसके समाधान के लिए बायो डीकंपोजर घोल इस्तेमाल करने की सलाह दी है. दावा है कि ये घोल पराली के धुएं का समाधान है, लेकिन सवाल है कि दिल्ली को वाहनों के प्रदूषण से कौन बचाएगा.

पराली के धुएं का समाधान है बायो-डिकॉम्पोज़र घोल
पराली के धुएं का समाधान है बायो-डिकॉम्पोज़र घोल

नई दिल्ली: द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्टडी कहती है कि राजधानी दिल्ली में सालभर के प्रदूषण में सबसे अधिक 30 फीसदी प्रदूषण इंडस्ट्री और फिर 28 फीसदी वाहनों से होता है. इसमें भी पराली जलने के सीजन में पराली की 40 फीसदी तो वाहनों की 18 फीसदी हिस्सेदारी होती है. पूरे साल के प्रदूषण के स्तर की तुलना में पराली के समय प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में भी पहुंच जाता है. हालांकि इसमें भी साफ है कि राजधानी में वाहन भी बड़े स्तर के प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार हैं.

पराली के धुएं का समाधान है बायो-डिकॉम्पोज़र घोल
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने हाल ही में 15 साल पुराने डीजल वाहनों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. इन वाहनों का सड़क पर चलना मना है, लेकिन जो लोग मनमानी कर रहे हैं. उन्हें अब इसका हर्जाना भुगतना होगा. दूसरी तरफ सरकार ने डीटीसी की पुरानी हुई बसों के मेंटेनेंस का टेंडर कर इन्हें आगे के इस्तेमाल की इजाज़त दी है. यानि बसों की संख्या कम नहीं होगी. हालांकि दिल्ली की डिमांड के हिसाब से ये कम ही है. प्रदूषण के मामलों पर जानकार जै धर गुप्ता कहते हैं कि वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी राजधानी में प्रदूषण का कारक है. खासकर डीजल वाहनों से पेट्रोल की तुलना में 9 गुना ज्यादा प्रदूषण होता है. दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने अब 15 साल से पुराने डीजल वाहनों पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जो एक अच्छा कदम है, लेकिन इसके साथ ही सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में बसों की संख्या और लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार ने अपनी बसों की उम्र बढ़ा दी है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. इसमें कदम उठाने होंगे. खासकर ऐसे समय में जबकि सरकार प्रदूषण को लेकर चिंतित है.

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उधर मामले में राजनीतिक दल भी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं. भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना कहते हैं कि सरकार ने पुरानी गाड़ियों को स्क्रेप करना शुरू कर दिया है, लेकिन लोगों की गाड़ियों को जब्त करने से बेहतर होगा कि परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए. लोग गाड़ी से नहीं जाएंगे तो बस देखेंगे और बस आपके पास नहीं है.

वहीं, दिल्ली सरकार जो विंटर एक्शन प्लान लागू करने जा रही है, उसमें परिवहन को लेकर बिंदु तो हैं, लेकिन परिवहन व्यवस्था की मूल जरूरत बसों की समस्या का सरकार के पास कोई त्वरित समाधान नहीं है. सरकार ने पराली को लेकर तैयारी शुरू कर दी है और बड़े स्तर पर इसे प्रमोट भी किया जा रहा है. हालांकि सवाल बनता है कि दिल्ली को वाहनों के प्रदूषण से कौन बचाएगा.

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