नई दिल्ली : शुक्रवार को देश भर में मुहर्रम का त्योहार मनाया जाएगा. इसी बीच दिल्ली में कोरोना के नियमों के चलते और सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए मुहर्रम के मौके पर ताजिए निकालने पर रोक लगा दी गई है. इसको लेकर कर्बला पर दिल्ली पुलिस को तैनात कर दी गई है. दिल्ली में जहां-जहां मुहर्रम और ताजिया निकाले जाते हैं. वहां पर दिल्ली पुलिस पूरी मुस्तैद दिखाई दे रही है.
यह तस्वीर दिल्ली की लोधी कॉलोनी के कर्बला की है, जहां पर ताजिया दफनाए जाते हैं. यहां पर पुलिस की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि न हो पाए इसके लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है. एसएसओ प्रफुल्ल कुमार झा, एसआई आनंद झा, एसआई करण सिंह के साथ CISF के जवान भी तैनात किए गए हैं. ताकि किसी भी प्रकार का कोई जुलूस निकाला जाता है तो उसको रोका जा सके. कर्बला के अंदर सिर्फ दो-चार लोगों को ही जाने की इजाजत दी गई है.
दिल्ली में मुहर्रम के मौके पर काफी पहले हिंसा भी हो चुकी है. इसलिए मुहर्रम से पहले पुलिस को एडवाइजरी जारी कर दी जाती है. इसकी चार पेज की एडवाइजरी पर मौलानाओं ने ऐतराज जताया है. इस बार कोविड की वजह से मुहर्रम के जुलूस पर रोक है.
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बता दें कि यौम-ए-आशुरा को मस्जिदों में इस दिन की फजीलत (अहमियत) बयान की जाती है. साथ ही हजरत इमाम हुसैन की शहादत पर खास तकरीरें होती हैं. वहीं शिया मुस्लिम इस दिन को हजरत इमाम हुसैन की शहादत को ध्यान में रखते हुए रंजो गम के रूप में मनाते हैं. इमाम बाड़ों में सारी रात जागकर ताजिया पुर्सी होती है और दिन निकलते ही मातम मनाते हुए ताजिया निकाले जाते और उन्हें कर्बला में दफन कर दिया जाता है. ताजिया जुलूस निकालते समय कई तरह के मातम किए जाते हैं और नौहा ख्वानी भी की जाती हैं.
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मुहर्रम के मौके पर शियाओं के साथ ही सुन्नी मुस्लिम भी सफेद और हरे रंग वाले ताजिये निकालते हैं. जगह-जगह तबरुख (प्रसाद) के तौर पर कहीं मीठे में जर्दा, खीर, हलवा और मीठे चावल बाटे जाते हैं.