नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन में एक बड़ा उलटफेर हो गया है. आरडीए के महासचिव डॉ श्रीनिवास राजकुमार को उनके कथित गैर पेशेवर रवैये के चलते उन्हें दो तिहाई बहुमत वोट से महासचिव पद से तुरंत प्रभाव से हटा दिया गया है.
इन आरोपों के कारण हुआ ऐसा
उनके ऊपर पीपीई किट में गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़ा कर एम्स की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाने, आरडीए के दूसरे सदस्यों को भरोसे में लिए मीडिया में अनावश्यक प्रतिक्रिया देने, आरडीए अध्यक्ष को नजरअंदाज करने और अपने साथियों के साथ खराब व्यवहार समेत करीब आधा दर्जन आरोप डॉ श्रीनिवास के ऊपर लगाए गए.
आरडीए अध्यक्ष ने दी जानकारी
आरडीए अध्यक्ष डॉ आदर्श सिंह ने बताया कि डॉ श्रीनिवास को 29 मई को ही आरडीए सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था. इसके बावजूद उन्होंने आरडीए के अधिकृत महासचिव की हैसियत से मीडिया में प्रतिक्रिया दी, जो बिल्कुल गैरकानूनी है.
इसके लिए नहीं उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है. डॉ आदर्श ने डॉ श्रीनिवास को आदर सहित सर कहते हुए उनके फील्ड की योग्यता की प्रशंसा करते हुए कहा कि डॉ श्रीनिवास अपनी फील्ड में माहिर हो सकते हैं, लेकिन वह निसंदेह एक टीम प्लेयर नहीं हैं, जो आरडीए जैसी संगठन को चलाने के लिए जरूरी है.
एम्स की प्रतिष्ठा से समझौता नहीं
डॉ अजय ने बताया कि आरडीए को भरोसे में लिए बिना मीडिया स्टेटमेंट जारी करना गलत है. वहीं डॉ अंबिका ने कहा कि एम्स की प्रतिष्ठा के सामने डॉ श्रीनिवास के साथ समझौता नहीं कर सकती. इसी तरह डॉ अजित, डॉ अमरदीप और डॉ पांडू ने भी डॉ श्रीनिवास के खिलाफ वोट किया.