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निगम की जमीन को लीज पर देकर अपनी जेब भरने का प्रयास कर रहे हैं भाजपा

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Published : Jul 28, 2021, 10:37 PM IST

नॉर्थ एमसीडी वर्तमान में आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही है, जिसकी वजह से कर्मचारियों को न सिर्फ अपने वेतन के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है बल्कि साल 2017 से निगम में कार्यरत कर्मचारियों को न तो उनके हक का एरियर मिला है और न ही बोनस.

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नॉर्थ एमसीडी हालातों ठीक होने में लगेगा समय

नई दिल्ली : दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसियों में से एक नॉर्थ एमसीडी वर्तमान में भयंकर आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रही है. यहां तक कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन जारी करने तक के लिए पर्याप्त मात्रा में राजस्व नहीं बचा है. फिलहाल दिल्ली सरकार के द्वारा कोर्ट के आदेशों के बाद जारी किए गए फंड के बाद निगम कर्मचारियों को अब तक का पूरा बकाया वेतन जारी किया जा चुका है, लेकिन आगे कर्मचारियों को समय से वेतन मिलेगा या नहीं इस बात की कोई भी गारंटी नहीं है.

निगम की आर्थिक बदहाली की जो स्थिति है, वह साल 2017 से लगातार बनी हुई है, जिसकी वजह से कर्मचारियों के वेतन को लेकर समस्या लगातार बनी हुई है. जिसके कारण दिल्ली सरकार और नॉर्थ एमसीडी में शासित भाजपा की सरकार के बीच में फंड की समस्या को लेकर खींचतान देखने को मिलती है. यह लड़ाई सड़क पर भी पहुंच चुकी है. इसके बावजूद भी इस पूरी समस्या का समाधान अभी तक नहीं निकला है.

नॉर्थ एमसीडी हालातों ठीक होने में लगेगा समय

नॉर्थ एमसीडी लगातार नई योजनाओं को लाकर अपने राजस्व बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन निगम को अभी तक अपने राजस्व बढ़ाने में पूरी तरीके से सफलता नहीं मिली है. अब निगम अपनी अलग-अलग जमीनों को 99 साल के लिए लीज पर देने की तैयारी कर रही है, जिससे कि निगम को वित्तीय सहायता मिलेगी ओर निगम का राजस्व बढ़ेगा. साथ ही आर्थिक बदहाली भी दूर होगी, लेकिन स्टैंडिंग कमिटी में लीज पर देने के प्रस्ताव को फिलहाल कुछ समय के लिए टाल दिया गया है. क्योंकि इन प्रस्तावों को लेकर निगम के अधिकारी द्वारा अभी तक ब्लूप्रिंट पूरी तरह से तैयार नहीं जा सका है. इस मामले पर नॉर्थ एमसीडी के नेता विपक्ष और आम आदमी पार्टी के नेता विकास गोयल ने कहा कि वर्तमान में निगम के अंदर शासित भाजपा की सरकार है उसकी नीयत ठीक नहीं है. भाजपा नेताओं को पता है कि अगले छह से आठ महीनों में उनकी विदाई नॉर्थ एमसीडी से होने वाली है. ऐसे में वह सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार करके अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं. भाजपा के नेता निगम की जमीन को लीज पर देखकर अपनी जेब भरने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी के विपक्ष में रहते हुए अपनी तरफ से इन सभी चीजों का पुरजोर तरीके से विरोध करती है.

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वहीं, नॉर्थ एमसीडी नेता सदन छैल बिहारी गोस्वामी ने कहा कि राजस्व बढ़ाने को लेकर लगातार भाजपा शासित नगर निगम की तरफ से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. अधिकारियों के साथ बैठकर लगातार न सिर्फ नई योजना तैयार की जा रही है बल्कि उनका क्रियान्वयन सही तरीके से जमीनी स्तर पर हो, इसको लेकर भी ब्लू प्रिंट पर काम किया जा रहा है. इसी कड़ी में कई योजनाओं को लागू भी कर दिया गया है.

छैल बिहारी गोस्वामी ने कहा कि निगम के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत संपत्ति कर है, जिसको लेकर निगम लगातार काम कर रही है और संपत्ति कर के क्षेत्र में भी निगम ने वृद्धि की है. निगम की वित्तीय बदहाली का सबसे बड़ा कारण दिल्ली सरकार के द्वारा निगम के हक के फंड को जबरन रोका जाना है. इसको लेकर साल 2017 से ही लगातार निगम के द्वारा आवाज उठाई जाती रही है, लेकिन दिल्ली सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली सरकार हमारी आवाज सुनेगी और निगम को उसके हक का पूरा बकाया फंड जारी करेगी. जिससे निगम की आर्थिक बदहाली दूर होगी.

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गोस्वामी ने कहा कि जहां तक जमीन लीज पर देने का सवाल है तो उसको लेकर भी निगम अधिकारियों द्वारा बकायदा एक पुख्ता योजना बनाई जा रही है. सभी योजनाएं संपूर्ण रूप से बना ली जाएंगी. उन्हें तुरंत प्रभाव से एजेंडे में शामिल करके स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाएगा.

नॉर्थ एमसीडी में वर्तमान समय में 50,000 कर्मचारी स्थाई तौर पर कार्यरत है. वहीं डीबीसी कर्मचारियों को तौर पर निगम के पास 15000 कर्मचारी हैं. साथ ही कुछ अन्य कर्मचारी भी काम कर रहे हैं. नॉर्थ एमसीडी के 30,000 पेंशन कर्मचारी भी है, जो निगम के ऊपर निर्भर हैं. निगम में कार्यरत स्थाई कर्मचारियों को जारी किए जाने वाला एक महीने का वेतन 250 करोड रुपये है. वहीं डीबीसी कर्मचारी और पेंशन कर्मचारियों को जारी किए जाने वाला वेतन और पेंशन अलग से है.

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बता दें कि नॉर्थ एमसीडी का साल भर का खर्चा लगभग 6000 करोड़ रुपये के आसपास है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा निगम कर्मचारियों के वेतन का है. इसके बाद स्वच्छता और स्वास्थ्य का क्षेत्र आता है, जिसमें निगम सबसे ज्यादा व्यय करती है.

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