संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि भारत इस साल 5.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज करते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. जबकि बाकी दुनिया की विकास दर महज 1.9 फीसदी रहेगी. संयुक्त राष्ट्र की विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं (डब्ल्यूईएसपी) की रिपोर्ट पिछले मई में किए गए 6 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद विकास प्रक्षेपण से 0.2 प्रतिशत कम हो गई, क्योंकि भारत की रैंक को प्रभावित किए बिना देश वैश्विक अर्थव्यवस्था से विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा है.
भारत की वृद्धि दर 5.8% का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत से मजबूत रहने की उम्मीद है. हालांकि 2022 में अनुमानित 6.4 प्रतिशत की तुलना में थोड़ा कम है. इस कमी की वजह है कि उच्च ब्याज दरें और वैश्विक मंदी निवेश और निर्यात पर भार डालती है. अगले साल यूएन को उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी. वहीं डब्ल्यूईएसपी ने भारत के नौकरियों के दृश्य की एक सकारात्मक तस्वीर दी है. यह देखते हुए भी कि भारत की बेरोजगारी दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ गई है. World Economic Situation and Prospects of United Nations को भारत से उम्मीदें है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2022 में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में नौकरियों को जोड़ा है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत की स्थिति अच्छी राष्ट्रपति ने आत्मनिर्भर भारत तारिफ की दुनिया के लिए, डब्ल्यूईएसपी का अनुमान इस साल 1.9 फीसदी है और अगले साल बढ़कर 2.7 फीसदी हो जाएगा. नई दिल्ली में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के आर्थिक प्रदर्शन का श्रेय उसके नेतृत्व को दिया है. मुर्मू ने अपने गणतंत्र दिवस के भाषण में कहा, सरकार के समय पर और सक्रिय हस्तक्षेप के कारण भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है. विशेष रूप से 'आत्मनिर्भर भारत' पहल ने बड़े पैमाने पर लोगों के बीच शानदार प्रतिक्रिया प्राप्त की है.
भारत की वृद्धि दर चीन और अमेरिका से बेहतर रहेगीचीन साल 2022 में 3 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए दूसरे स्थान पर बना रहा. वहीं इस साल 4.8 प्रतिशत और अगले वर्ष 4.5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. वहीं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इस साल 0.4 फीसदी और अगले साल 1.7 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. समग्र रूप से दक्षिण एशिया के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च खाद्य और ऊर्जा की कीमतों, मौद्रिक तंगी और राजकोषीय कमजोरियों के कारण क्षेत्र का आर्थिक दृष्टिकोण काफी बिगड़ गया है. जिससे यह 4.8 प्रतिशत की वृद्धि इस वर्ष और अगले वर्ष 5.9 प्रतिशत वृद्धि की भविष्यवाणी करता है.
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