नई दिल्ली: एफपीआई (Foreign Portfolio Investment) ने अक्टूबर में अपनी बिक्री का सिलसिला जारी रखा और कैश मार्केट में बिक्री 16176 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है. इस बात की जानकारी जिओजित फाइनेंशियल सेवाओं के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने दी है. उन्होंने कहा कि एफपीआई वित्तीय, बिजली, एफएमसीजी और आईटी जैसे क्षेत्रों में बिकवाली कर रहे हैं. ऑटोमोबाइल और कैपिटल वस्तुओं में बिकवाली कम हो रही है.
इस निरंतर बिक्री का अहम कारण अमेरिकी बान्ड पैदावार में तेज वृद्धि थी, जो 17 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. साथ ही उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना जरुरी है कि FPI की बिक्री बड़ी नहीं है. इसका मतलब यह है कि जब स्थिति बदलेगी तो पूंजी का आउटफ्लो उलट जाएगा. FPI निवेश की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता लोन बाजार में बढ़ता प्रवाह है, जिसके कई कारण हैं.
कारण बताया कि एक, वैश्विक अनिश्चितता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी के बीच एफपीआई अपने निवेश में विविधता ला रहा है. भारतीय बान्ड अच्छा रिजल्ट दे रहे हैं और भारत के स्थिर मैक्रोज को देखते हुए आईएनआर स्थिर होने की उम्मीद है. इसके अलावा दूसरा कारण जेपी मॉर्गन ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में भारत का शामिल होना है. कुछ एफपीआई प्रमुख खरीदारों द्वारा भारतीय बान्ड खरीदने पर रोक लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बढ़कर विदेशी निवेशक अब भारत को सबसे अच्छी विकास कहानी के साथ सबसे स्थिर उभरते बाजार के रूप में देखते हैं.