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मूडीज ने भी 2019 के लिये भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.6 प्रतिशत किया

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Published : Dec 13, 2019, 2:47 PM IST

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मूडीज ने भी 2019 के लिये भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.6 प्रतिशत किया

मूडीज ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार मध्य 2018 के बाद सुस्त पड़ी है और वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर करीब आठ प्रतिशत से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में पांच प्रतिशत पर आ गयी. वृद्ध दर सितंबर तिमाही में और गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी.

नई दिल्ली: मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 2019 के लिये घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया. मूडीज ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि रोजगार की धीमी वृद्धि दर का उपभोग पर असर पड़ रहा है.

उसने कहा कि वृद्धि दर में इसके बाद सुधार होगा और यह 2020 तथा 2021 में क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत रह सकती है. हालांकि वृद्धि दर सुधार के बाद भी पहले की तुलना में कम बनी रहेगी.

उसने कहा, "हमने 2019 के लिये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया है, जो 2018 के 7.4 प्रतिशत से कम है."

मूडीज ने कहा, "भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार मध्य 2018 के बाद सुस्त पड़ी है और वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर करीब आठ प्रतिशत से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में पांच प्रतिशत पर आ गयी."

वृद्ध दर सितंबर तिमाही में और गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी.

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उसने कहा, "उपभोग मांग सुस्त हुई है और रोजगार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग पर असर डाला है. हम वृद्धि दर के 2020 और 2021 में सुधरकर 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत पर पहुंच जाने की उम्मीद करते हैं."

मूडीज ने कहा कि कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती, बैंकों का पुनर्पूंजीकरण, बुनियादी संरचना पर खर्च की योजनाएं, वाहन एवं अन्य उद्योगों को समर्थन जैसे सरकार के उपायों से उपभोग की मांग की समस्या प्रत्यक्ष तौर पर दूर नहीं हुई है. इसके अलावा, रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में की गयी कटौती का लाभ बैंकों ने पर्याप्त तरीके से उपभोक्ताओं तक आगे नहीं बढ़ाया है.

आर्थिक सुस्ती तथा वित्तीय क्षेत्र में तरलता संकट के कारण वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों में 22.95 प्रतिशत कम हुई है. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने भी नरम मांग तथा सुस्त बाह्य मांग का हवाला देते हुए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर पिछले सप्ताह पांच प्रतिशत कर दिया है.

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है. विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी 2019-20 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान इसी सप्ताह 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत किया है.

सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने भी चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है.

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नई दिल्ली: मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 2019 के लिये घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया. मूडीज ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि रोजगार की धीमी वृद्धि दर का उपभोग पर असर पड़ रहा है.

उसने कहा कि वृद्धि दर में इसके बाद सुधार होगा और यह 2020 तथा 2021 में क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत रह सकती है. हालांकि वृद्धि दर सुधार के बाद भी पहले की तुलना में कम बनी रहेगी.

उसने कहा, "हमने 2019 के लिये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया है, जो 2018 के 7.4 प्रतिशत से कम है."

मूडीज ने कहा, "भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार मध्य 2018 के बाद सुस्त पड़ी है और वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर करीब आठ प्रतिशत से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में पांच प्रतिशत पर आ गयी."

वृद्ध दर सितंबर तिमाही में और गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी.

उसने कहा, "उपभोग मांग सुस्त हुई है और रोजगार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग पर असर डाला है. हम वृद्धि दर के 2020 और 2021 में सुधरकर 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत पर पहुंच जाने की उम्मीद करते हैं."

मूडीज ने कहा कि कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती, बैंकों का पुनर्पूंजीकरण, बुनियादी संरचना पर खर्च की योजनाएं, वाहन एवं अन्य उद्योगों को समर्थन जैसे सरकार के उपायों से उपभोग की मांग की समस्या प्रत्यक्ष तौर पर दूर नहीं हुई है. इसके अलावा, रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में की गयी कटौती का लाभ बैंकों ने पर्याप्त तरीके से उपभोक्ताओं तक आगे नहीं बढ़ाया है.

आर्थिक सुस्ती तथा वित्तीय क्षेत्र में तरलता संकट के कारण वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों में 22.95 प्रतिशत कम हुई है. उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने भी नरम मांग तथा सुस्त बाह्य मांग का हवाला देते हुए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर पिछले सप्ताह पांच प्रतिशत कर दिया है.

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है. विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी 2019-20 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान इसी सप्ताह 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत किया है.

सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने भी चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है.

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