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कच्चा तेल आयात कमी होने से मिलेगी पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद

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Published : Sep 27, 2019, 11:39 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 7:11 AM IST

गडकरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. जैसे इथेनॉल और बुटानॉल ना सिर्फ सस्ते हैं बल्कि देश के लिए जरूरी भी हैं क्योंकि यह हमें उत्सर्जन कम करने में मदद करते हैं.

कच्चा तेल आयात कमी होने से मिलेगी पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद

मुंबई: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि जैविक ईंधन कच्चे तेल का आयात कम कर सकता है और इससे हमारी विदेशी मुद्रा बचेगी जिससे 2025 तक देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी.

गडकरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. जैसे इथेनॉल और बुटानॉल ना सिर्फ सस्ते हैं बल्कि देश के लिए जरूरी भी हैं क्योंकि यह हमें उत्सर्जन कम करने में मदद करते हैं.

ये भी पढ़ें- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में दुनिया का अग्रणी बन सकता है भारत: सिक्का

गडकरी ने कहा , "हम हर साल सात लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल आयात करते हैं. ऐसे में यदि हम जैव ईंधन जैसे कि इथेनॉल और बुटानॉल के विकल्प को अपनाए और इन्हें कारों एवं विमानों में उपयोग करें तो यह ना सिर्फ सस्ते पड़ेंगे बल्कि प्रदूषण मुक्त भी होंगे. हमें इन विकल्पों पर ध्यान क्यों नहीं देना चाहिए?"

उन्होंने कहा कि विमानन क्षेत्र 40,000 करोड़ रुपये का ईंधन आयात करता है यदि वह जैव ईंधन के विकल्प पर विचार करें तो इससे घरेलू उत्पादकों के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बाजार पैदा होगा. उन्होंने कहा कि विमानन जैव ईंधन को अमेरिका और ब्रिटेन में व्यापक तौर पर स्वीकार किया जाता है.

यदि हम भी इसका उपयोग करें तो हम अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बचा सकते हैं. इन कदमों से हमारा तेल आयात कम होगा. वहीं हम कोयले की जगह नेपियर घास का इस्तेमाल करें तो उन्हें भरोसा है कि इससे देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी.

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कच्चा तेल आयात कमी होने से मिलेगी पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद

मुंबई: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि जैविक ईंधन कच्चे तेल का आयात कम कर सकता है और इससे हमारी विदेशी मुद्रा बचेगी जिससे 2025 तक देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी. 

गडकरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. जैसे इथेनॉल और बुटानॉल ना सिर्फ सस्ते हैं बल्कि देश के लिए जरूरी भी हैं क्योंकि यह हमें उत्सर्जन कम करने में मदद करते हैं. 

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गडकरी ने कहा , "हम हर साल सात लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल आयात करते हैं. ऐसे में यदि हम जैव ईंधन जैसे कि इथेनॉल और बुटानॉल के विकल्प को अपनाए और इन्हें कारों एवं विमानों में उपयोग करें तो यह ना सिर्फ सस्ते पड़ेंगे बल्कि प्रदूषण मुक्त भी होंगे. हमें इन विकल्पों पर ध्यान क्यों नहीं देना चाहिए?" 

उन्होंने कहा कि विमानन क्षेत्र 40,000 करोड़ रुपये का ईंधन आयात करता है यदि वह जैव ईंधन के विकल्प पर विचार करें तो इससे घरेलू उत्पादकों के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बाजार पैदा होगा. उन्होंने कहा कि विमानन जैव ईंधन को अमेरिका और ब्रिटेन में व्यापक तौर पर स्वीकार किया जाता है. 

यदि हम भी इसका उपयोग करें तो हम अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बचा सकते हैं. इन कदमों से हमारा तेल आयात कम होगा. वहीं हम कोयले की जगह नेपियर घास का इस्तेमाल करें तो उन्हें भरोसा है कि इससे देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी.


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Last Updated : Oct 2, 2019, 7:11 AM IST
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