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रेपो रेट में कटौती के बाद उपभोक्ताओं को ईएमआई में मिल सकती है राहत

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Published : Apr 5, 2019, 9:54 AM IST

रेपो रेट में कटौती के बाद उपभोक्ताओं को ईएमआई में मिल सकती है राहत

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6.25 फीसदी से घटाकर छह फीसदी करने का फैसला लिया.

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गुरुवार को प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करने के फैसले के बाद उपभोक्ताओं को आगे सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीद है, हालांकि यह वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर होगा कि वे इस कटौती का कितना फायदा उपभोक्ताओं को देते हैं.

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6.25 फीसदी से घटाकर छह फीसदी करने का फैसला लिया.

ये भी पढ़ें- एनपीए पर संशोधित सर्कुलर जल्द जारी करेगा रिजर्व बैंक

आरबीआई की नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के बाद अगर बैंक अब ब्याज दरों में कटौती करते हैं तो आवासीय ऋण, ऑटो कर्ज और शिक्षा ऋण सस्ते हो जाएंगे और उपभोक्ताओं के ईएमआई के बोझ में कमी आएगी.

सरकारी क्षेत्र के बैंकों के अधिकारियों ने बताया कि आरबीआई के ब्याज दरों में कटौती का कम से कम 15 फीसदी हस्तांतरण हो सकता है और आगे ईएमआई में भी कमी आ सकती है. वाणिज्यिक बैंक कर्ज पर ब्याज दरों में वृद्धि या कटौती के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति का अनुसरण करते हैं और उसके अनुसार खुदरा कर्ज की दरों में संशोधन करते हैं.

हालांकि आरबीआई की समस्या यह है कि वाणिज्यिक बैंक अपने मार्जिन की सुरक्षा को लेकर प्रमुख ब्याज दरों में कटौती के फायदा का हस्तांरण नहीं करते हैं या बहुत कम हस्तांतरण करते हैं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि वह बैंकरों से मिलेंगे और उन्हें ब्याज दरों में कटौती का हस्तांतरण ग्राहकों को करने को कहेंगे.

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रेपो रेट में कटौती के बाद उपभोक्ताओं को ईएमआई में मिल सकती है राहत

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गुरुवार को प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करने के फैसले के बाद उपभोक्ताओं को आगे सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीद है, हालांकि यह वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर होगा कि वे इस कटौती का कितना फायदा उपभोक्ताओं को देते हैं.

केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6.25 फीसदी से घटाकर छह फीसदी करने का फैसला लिया.

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आरबीआई की नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के बाद अगर बैंक अब ब्याज दरों में कटौती करते हैं तो आवासीय ऋण, ऑटो कर्ज और शिक्षा ऋण सस्ते हो जाएंगे और उपभोक्ताओं के ईएमआई के बोझ में कमी आएगी.

सरकारी क्षेत्र के बैंकों के अधिकारियों ने बताया कि आरबीआई के ब्याज दरों में कटौती का कम से कम 15 फीसदी हस्तांतरण हो सकता है और आगे ईएमआई में भी कमी आ सकती है. वाणिज्यिक बैंक कर्ज पर ब्याज दरों में वृद्धि या कटौती के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति का अनुसरण करते हैं और उसके अनुसार खुदरा कर्ज की दरों में संशोधन करते हैं.

हालांकि आरबीआई की समस्या यह है कि वाणिज्यिक बैंक अपने मार्जिन की सुरक्षा को लेकर प्रमुख ब्याज दरों में कटौती के फायदा का हस्तांरण नहीं करते हैं या बहुत कम हस्तांतरण करते हैं. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि वह बैंकरों से मिलेंगे और उन्हें ब्याज दरों में कटौती का हस्तांतरण ग्राहकों को करने को कहेंगे.


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