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दिवाली में मिट्टी के दीये का व्यापार भारत-चीन विवाद से 3 गुना बढ़ने के आसार

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Published : Oct 16, 2020, 10:26 AM IST

भारत में अगले महीने दीपावली का सबसे बड़ा त्यौहार मनाया जाएगा. लॉकडाउन और अनलॉक के भंवर में फंसे नागरिक भले धूमधाम से इस बार की दिवाली न मनाएं, लेकिन जहां तक रोशनी के इस पर्व का संबंध है, घरों में दीपोत्सव तो मनेगा ही. घरों में दिये तो जलेंगे ही. ऐसे में भारत-चीन विवाद के चलते इस बात की उम्मीद लगाई जा रही है कि व्यापार तिगुना बढ़ सकता है.

नई दिल्ली: देशभर में एक तरफ कोरोना महामारी के चलते कई उद्योगों को नुकसान हुआ. वहीं भारत-चीन विवाद की वजह से अब कुछ उद्योगों को फायदा भी पहुंचने वाला है.

दिल्ली के उत्तम नगर स्थित कुम्हार कॉलोनी में मिट्टी के सामान बनते हैं और ये काम यहां करीब 40 सालों से हो रहा है. वहीं मिट्टी के सामानों का होलसेल के अलावा रिटेल बाजार भी हैं. देशभर के विभिन्न जगहों से लोग इस बाजार से सामानों को खरीदने आते हैं.

कुम्हार कॉलोनी में करीब 500 परिवार रहते हैं जो इस व्यापार से सीधे जुड़े हैं और लगभग हर दूसरे घर में मिट्टी के सामान बनते हैं. दिवाली के लिए दीये, बर्तन ,घरों के डेकोरेटिव आइटम, जग, कप और मूर्तियां आदि जैसे मिट्टी के सामान शामिल हैं. हालांकि कुछ परिवार इन्हें गुजरात, कलकत्ता से खरीदकर यहां इनपर खूबसूरत पेंट करके बाजारों में बेचते हैं.

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कोविड-19 में इन सभी परिवारों को बहुत नुकसान हुआ, वहीं मार्च से मई के महीने तक एक भी मिट्टी का आइटम नहीं बिका, लेकिन धीरे-धीरे लोग अब घरों से बाहर निकल रहे हैं और सामान खरीद भी रहे हैं.

भारत में अगले महीने दीपावली का सबसे बड़ा त्यौहार मनाया जाएगा. लॉकडाउन और अनलॉक के भंवर में फंसे नागरिक भले धूमधाम से इस बार की दिवाली न मनाएं, लेकिन जहां तक रोशनी के इस पर्व का संबंध है, घरों में दीपोत्सव तो मनेगा ही. घरों में दिये तो जलेंगे ही. ऐसे में भारत-चीन विवाद के चलते इस बात की उम्मीद लगाई जा रही है कि व्यापार तिगुना बढ़ सकता है, वहीं कोरोना के चलते जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई भी हो सकती है.

हरकिशन मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान बनाते हैं. इन्हें साल 2012 में शिल्पगुरु अवार्ड,1990 नेशनल अवार्ड और 1988 संस्कृति अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है. वह इस कॉलोनी के मुखिया भी हैं. उन्होंने आईएएनएस को बताया, "इस कॉलोनी में 500 परिवार रहते हैं वहीं सभी इसी कारोबार से जुड़े हुए हैं. दीवाली के लिए तैयारियां गर्मियों के समय से शुरू हो जाती हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ. मार्च के महीने से मई के महीने तक एक भी मटका नहीं बिका."

उन्होंने बताया, "सभी लोगों से मैंने कारोबार से संबंधित चर्चा की, जिसमें मुझे बताया गया कि इस बार 25 फीसदी व्यापार चल रहा है. सभी लोग कम कर रहे हैं और अभी तक यहां कोरोना संक्रमण का एक भी मामला भी नहीं आया है."

उन्होंने कहा, "दिल्ली-एनसीआर, हरयाणा और यूपी से लोग यहां मिट्टी के सामान खरीदने आते हैं, लेकिन अभी उतनी संख्या में नहीं आ रहे हैं. चाइना के सामान पर बैन लगने से हमें बहुत फायदा होगा, व्यापार में तीन गुना फर्क पड़ेगा."

हरकिशन ने कहा, "चाइना से लड़े बिना हम उसकी कमर तोड़ सकते हैं. चाइना के खिलाफ ये हमारा अघोषित युद्ध है."

इस बाजार से हर दिवाली करोड़ों रुपये का व्यापार होता है. हालांकि ये बात जानकर हैरानी होगी कि यहां रहने वाले कुछ बच्चे आर्ट्स कॉलेजों में इस कला को सिखाने भी जाते हैं. आने वाले सभी त्योहारों के लिए करीब 500 परिवार काम में लगे हैं. किसी के घर बर्तनों, दीयों को रंगा जा रहा है तो कई परिवार इन्हें बेचने में हैं.

हरयाणा, राजस्थान, बंगाल और यूपी से लोग यहां कारीगर काम करने आते हैं और रहते भी हैं. हजारों की संख्या में लोग यहां इस व्यापार से जुड़े हुए हैं, वहीं यहां से माल एक्सपोर्ट भी किया जाता है.

किशोरी लाल जो कि सन 70 से इस काम को कर रहे हैं, उन्होंने आईएएनएस को बताया, "इस बार कारोबार मंदा है, हम एक सीजन में कमाते हैं, जिससे हमारी पूरी सर्दियां निकल जाती थीं, वहीं लॉकडाउन लगने की वजह से माल नहीं बिक रहा. वहीं जो दुकानदार हमसे ये सब खरीदने आते हैं, उनके पास भी पुराना माल रखा हुआ है. इसलिए वो भी कम ही माल खरीद रहे हैं."

उन्होंने बताया, "इस बार दिवाली पर महंगाई भी और बढ़ जाएगी, जिस वजह से लोग थोड़ा खर्च कम करेंगे. हम तो बस ऊपर वाले से यही दुआ कर रहे हैं कि इस बार कम से कम खर्चा ही निकल जाए, क्योंकि अच्छे व्यापार की उम्मीद कम है."

(आईएएनएस)

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