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2020 में बढ़ेगी रिलाइंस इंडस्ट्रीज की आय: एचएसबीसी

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Published : Apr 23, 2019, 7:26 PM IST

Updated : Apr 24, 2019, 1:24 PM IST

2020 में बढ़ेगी रिलाइंस इंडस्ट्रीज की आय: एचएसबीसी

एचएसबीसी ने कहा है कि आरआईएल की आय का आउटलुक मजबूत है और कंपनी पहले के शेयर का मूल्य 1,500 रुपये के मुकाबले 1,512 रुपये के अद्यतन लक्ष्य के साथ 'लिवाली' की रेटिंग पर कायम है.

मुंबई: रिलायंस इंस्ट्रीज (आरआईएल) के रिफाइनिंग कारोबार में सुस्ती की भरपाई खुदरा और दूरसंचार (जियो) कारोबार की मजबूती से होने से वित्त वर्ष 2020 में कंपनी की आय की रफ्तार में तेजी आएगी और 'लिवाली' की रेटिंग बनी रहेगी. यह अनुमान एचएसबीसी के विशेषज्ञों का है.

एचएसबीसी ने कहा है कि आरआईएल की आय का आउटलुक मजबूत है और कंपनी पहले के शेयर का मूल्य 1,500 रुपये के मुकाबले 1,512 रुपये के अद्यतन लक्ष्य के साथ 'लिवाली' की रेटिंग पर कायम है. इस समय कंपनी के शेयर का मूल्य 1,363.25 रुपये प्रति शेयर चल रहा है.

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एचएसबीसी ने कहा, "रिफाइनिंग की मार्जिन में कमजोरी की भरपाई खुदरा और दूरसंचार (जियो) की मजबूत वृद्धि से हुई. खुदरा और जियो दोनों का प्रदर्शन अच्छा है और अब आरआईएल की सम्मिलित आय (ब्याज, कर, अवमूल्यन, ऋणमुक्ति के पूर्व घटाने से पहले की आय) में इसका 25 फीसदी योगदान है."

एचएसबीसी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि आरआईएल की आय की रफ्तार में वित्त वर्ष 2020 के दौरान तेजी आएगी. जो ऊर्जा और फीडस्टॉक की लागत में कमी आने से रिफाइनिंग और केमिकल्स की मार्जिन में वृद्धि और पेटकोक गैसीफायर में तेजी और आईएमओ-2020 से रिफाइनिंग कारोबार में आगामी अपसाइकलिंग से चालित होगी."

एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, आरआईएल की समेकित समायोजित निवल कर्ज वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही के 42.7 अरब डॉलर से घटकर 33.2 अरब डॉलर रह गया है, क्योंकि इसने अपनी प्रमुख परिसंपत्तियों -फाइबर और टॉवर का नियंत्रण दो अलग-अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट में हस्तांतरित करके दूरसंचार कारोबार (जियो) का रिस्ट्रक्चर किया है. इसमें 700 अरब रुपये का बाहरी दायित्व और 366 अरब रुपये का आरआईएल के निवेश का हिस्सा शामिल है.

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व्हाट्सएप और स्काइप जैसी सेवाओं को ट्राई के दायरे में लाने पर फैसला मई तक: शर्मा

नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार विनियामक प्रधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा है कि व्हाट्सएप और स्काइप जैसी ओटीटी (ओवर-दी-टाप) सेवाओं को ट्राई के नियमों के दायरे में लाने पर कोई राय अगले माह के अंत तक तय की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस मामले में 'खुली सोच' रखने और यूरोपीय माडल तथा अन्य देशों में अपनाए गए अच्छे उपायों को ध्यान में रख कर निर्णय करना होगा.

     

शर्मा ने बातचीत में कहा कि ट्राई ने यूरोपीय संघ की नियामकीय संस्था (यूरोपीयन इलेक्ट्रानिक कम्यूनिकेशन कोड) और अन्य देशों में प्रचलित कुछ सबसे अच्छी व्यवस्थाओं का अध्ययन कर लिया है. इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचते समय दुनिया में प्रचलित श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को ध्यान में रखा जाएगा.    

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ओटीटी ऐसे ऐप और सेवाओं को कहा जाता है जो इंटरनेट के जरिए हासिल की जाती है और दूसरे इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के कंधे पर चलती हैं. लोकप्रिय व्हाट्सएप, विबर, हाइक और स्काइप जैसी सेवाएं इसी श्रेणी में आती हैं.

     

ट्राई इस मुद्दे पर खुली चर्चाएं करा रहा है. इसके लिए बुधवार को एक कार्यक्रम बेंगलूरू में आयोजित किया जा रहा है. इसी तरह का एक और कार्यक्रम जल्दी ही दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. 

     

शर्मा ने कहा, "हम इस बारे में खुली सोच के हैं. पहले की हर परिचर्चाओं के ही तरह इस बारे में भी हमने स्थापित प्रक्रिया का अनुपालन किया है. हो सकता है कि मई के अंत तक हम इस बारे में अपनी बात या विनियम तैयार करने में सफल हो जाएं."

     

ट्राई ने ओटीटी सेवाओं के बारे में परिचर्चा पत्र पिछले साल जारी किया था. इसमें सवाल किया गया था कि क्या इनको भी अन्य सेवा प्रदाताओं की तरह विनियामकीय दायरे में लाया जाए. हाल के दिनों में ऐसी सेवाओं की जांच परख तेज हुई है. सरकार भी सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नियमों की समीक्षा कर रही है ताकि ऐसे मंचों को अधिक जवाबदेह बनाया जा सके.

     

इस मामले में एक बड़ा मुद्दा 'विनियामकीय असंतुलन' का है. इस संबंध में सवाल उठाया जा रहा है कि क्या नियमन के दायरे में आने वाले लाइसेंसशुदा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के मुकाबले ओटीटी सेवा प्रदाताओं को खुली छूट तो नहीं मिली हुई है. क्या इस विषमता को दूर करने के लिए ओटीटी सेवाओं के लिए भी लाइसेंस लागू कर उसकी शर्तों के दायरे में लाया जाए.


Conclusion:
Last Updated :Apr 24, 2019, 1:24 PM IST
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