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नई शुल्क व्यवस्था का हुआ दुरुपयोग; चैनल चुनने, कीमत को लेकर मिल रही शिकायतें: ट्राई

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Published : Aug 16, 2019, 7:59 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 5:34 AM IST

नई शुल्क व्यवस्था का हुआ दुरुपयोग; चैनल चुनने, कीमत को लेकर मिल रही शिकायतें: ट्राई

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मार्च 2017 में प्रसारण और केबल सेवाओं के लिए 'नई नियामकीय रूपरेखा' को अधिसूचित किया था. नए नियम 29 दिसंबर 2018 से लागू हुये. टेलीविजन एवं प्रसारण क्षेत्र के लिए ट्राई के नए नियम या आदेश ने ग्राहकों को अपनी पसंद के चैनल चुनने की आजादी दी.

नई दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने कहा कि वितरकों ने नई शुल्क व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुये टीवी चैनलों के उचित बाजार मूल्य की खोज नहीं होने दी. नियामक ने इस संबंध में शुक्रवार को सभी पक्षों से विचार मांगा है. टीवी चैनलों के चयन और उनकी कीमत से जुड़ीं शिकायतें आने के बाद ट्राई ने यह बात कही.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मार्च 2017 में प्रसारण और केबल सेवाओं के लिए 'नई नियामकीय रूपरेखा' को अधिसूचित किया था. नए नियम 29 दिसंबर 2018 से लागू हुये. टेलीविजन एवं प्रसारण क्षेत्र के लिए ट्राई के नए नियम या आदेश ने ग्राहकों को अपनी पसंद के चैनल चुनने की आजादी दी.

ट्राई ने बयान में कहा कि विश्लेषण से पता चला है कि नए नियामकीय ढांचे ने टीवी चैनलों की कीमतें तय करने में पारदर्शिता, क्षेत्र में व्यापार गतिविधियों में सामंजस्य और हितधारकों के बीच विवाद को कम किया. हालांकि, ग्राहकों को चैनल चुनने के पर्याप्त विकल्प नहीं दिए गए. दूरसंचार नियामक ने प्रसारण एवं केबल सेवाओं के लिए शुल्क से संबंधित मुद्दों पर एक परामर्श पत्र जारी किया है.

ये भी पढ़ें: निवेश में कमी तथा जीएसटी संग्रह भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियां: गोल्डमैन

ट्राई ने कहा कि प्रसारकों और वितरण प्लटेफॉर्म परिचालकों (डीपीओ) से उम्मीद की जा रही थी कि वे नए नियमों में मिली लचीलेपन का उपयोग ग्राहकों की चिंताओं और आकांक्षाओं को दूर करने में करेंगे. हालांकि, उन्होंने चैनलों के पैकेज पर भारी छूट देकर एक प्रकार से नई शुल्क व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुये टीवी चैनलों के वास्तविक बाजार मूल्य की खोज नहीं होने दी.

बयान में कहा गया है कि प्रसारकों ने पैकेज में शामिल चैनलों में उनकी दर के मुताबिक भुगतान वाले चैनलों की तुलना में 70 प्रतिशत तक छूट की पेशकश की है. ट्राई ने कहा कि चैनलों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं होना दूसरी समस्या बनी. जहां प्रसारकों और वितरकों ने पैकेज में एक ही तरह के कई चैनल डाल दिए.

कई चैनल पैकेजों से न सिर्फ उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा हुआ बल्कि उन्हें अपने पसंद के चैनल चुनने में बाधा हुई. ट्राई ने कहा कि इससे उपभोक्ता भ्रमित हो गए और उन्हें सुझाए गए टीवी चैनलों के पैकेज लेने के लिए ही मजबूर होना पड़ा. इसने टीवी चैनल चुनने की उनकी आजादी का हनन हुआ है.

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नई दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने कहा कि वितरकों ने नई शुल्क व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुये टीवी चैनलों के उचित बाजार मूल्य की खोज नहीं होने दी. नियामक ने इस संबंध में शुक्रवार को सभी पक्षों से विचार मांगा है. टीवी चैनलों के चयन और उनकी कीमत से जुड़ीं शिकायतें आने के बाद ट्राई ने यह बात कही.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने मार्च 2017 में प्रसारण और केबल सेवाओं के लिए 'नई नियामकीय रूपरेखा' को अधिसूचित किया था. नए नियम 29 दिसंबर 2018 से लागू हुये. टेलीविजन एवं प्रसारण क्षेत्र के लिए ट्राई के नए नियम या आदेश ने ग्राहकों को अपनी पसंद के चैनल चुनने की आजादी दी.

ट्राई ने बयान में कहा कि विश्लेषण से पता चला है कि नए नियामकीय ढांचे ने टीवी चैनलों की कीमतें तय करने में पारदर्शिता, क्षेत्र में व्यापार गतिविधियों में सामंजस्य और हितधारकों के बीच विवाद को कम किया. हालांकि, ग्राहकों को चैनल चुनने के पर्याप्त विकल्प नहीं दिए गए. दूरसंचार नियामक ने प्रसारण एवं केबल सेवाओं के लिए शुल्क से संबंधित मुद्दों पर एक परामर्श पत्र जारी किया है.

ट्राई ने कहा कि प्रसारकों और वितरण प्लटेफॉर्म परिचालकों (डीपीओ) से उम्मीद की जा रही थी कि वे नए नियमों में मिली लचीलेपन का उपयोग ग्राहकों की चिंताओं और आकांक्षाओं को दूर करने में करेंगे. हालांकि, उन्होंने चैनलों के पैकेज पर भारी छूट देकर एक प्रकार से नई शुल्क व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुये टीवी चैनलों के वास्तविक बाजार मूल्य की खोज नहीं होने दी.

बयान में कहा गया है कि प्रसारकों ने पैकेज में शामिल चैनलों में उनकी दर के मुताबिक भुगतान वाले चैनलों की तुलना में 70 प्रतिशत तक छूट की पेशकश की है. ट्राई ने कहा कि चैनलों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं होना दूसरी समस्या बनी. जहां प्रसारकों और वितरकों ने पैकेज में एक ही तरह के कई चैनल डाल दिए.

कई चैनल पैकेजों से न सिर्फ उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा हुआ बल्कि उन्हें अपने पसंद के चैनल चुनने में बाधा हुई. ट्राई ने कहा कि इससे उपभोक्ता भ्रमित हो गए और उन्हें सुझाए गए टीवी चैनलों के पैकेज लेने के लिए ही मजबूर होना पड़ा. इसने टीवी चैनल चुनने की उनकी आजादी का हनन हुआ है.

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Last Updated :Sep 27, 2019, 5:34 AM IST
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