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World Water Monitoring Day : दूषित पानी से सालाना 3.7 करोड़ भारतीय होते हैं बीमार, 3360 करोड़ रु. का होता है नुकसान

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 18, 2023, 12:10 AM IST

Updated : Oct 13, 2023, 5:22 PM IST

World Water Monitoring Day
विश्व जल निगरानी दिवस

आज विश्व जल निगरानी दिवस (World Water Monitoring Day) है. विश्वसनीय वाटर डेटा की मदद से दुनिया की पूरी आबादी के लिए स्वच्छ व समुचित मात्रा में पेयजल, कृषि व अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वैश्विक स्तर पर बेहतर जल प्रबंधन (Water Management) आवश्यक है. इस चुनौती को पूरा करने लिए जल निगरानी पर बल दिया जा रहा है. भारत में जहां दुनिया की 18 फीसदी आबादी (Population Of India) रहती है. वहीं महज 4 फीसदी ही पानी है. इसमें भी स्वच्छ पानी की मात्रा काफी कम है और उस पानी तक जरूरतमंदों तक पहुंच उससे भी कम है. पढ़ें पूरी खबर..

हैदराबाद : पृथ्वी पर जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. मानव सभ्यता के अस्तिव के लिए ही नहीं सतत विकास के लिए भी समुचित मात्रा में स्वच्छ जल आवश्यक है. समय पर शुद्ध और समुचित मात्रा में जल सबों को मिले, इसके लिए जल प्रबंधन जरूरी है. दुनिया भर में जल के समुचित प्रवाह को बनाये रखने के लिए बेहतर जल प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के उद्देश्य से 18 सितंबर को विश्व जल निगरानी दिवस मनाया जाता है.

  • Over 70% of our Blue Marble’s surface is covered with water. But, of that, only 3% is freshwater – making it crucial to monitor and manage this resource.

    This World Water Monitoring Day, learn how satellites like @NASA_Landsat help us track water from space. 💧🛰️ pic.twitter.com/dnZgMQfE5M

    — NASA Earth (@NASAEarth) September 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

विश्व स्तर पर जल निगरानी क्यों जरूरी: दुनिया भर में कुल उपलब्ध जल की मात्रा में करीबन 97 फीसदी मानव के उपयोग के योग्य नहीं है. 2 फीसदी के करीबन ग्लेशियर में दबा है. महज एक फीसदी के करीब जल है, जो मानव उपयोग के योग्य माना जाता है. जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण, बारिश के पानी का समुचित उपयोग नहीं होना और लगातार प्रदूषण के कारण यह भी प्रदूषित हो रहा है. दूषित जल कई बीमारियों का कारण बना हुआ है.

जल की किल्लत के कारण खेती और उद्योंगों के विकास पर भी असर पड़ता है. स्वच्छ जल की समुचित मात्रा में उपलब्धता बढ़ाने के लिए विश्वसनीय वाटर डेटा होना जरूरी है. भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में इसकी कमी है. स्वच्छ जल समुचित मात्रा में तभी संभव है जब विश्व स्तर पर जल निगरानी के लिए विश्वसनीय डेटा तैयार और डेटा का विश्लेषण कर समुचित कदम उठाया जा सके.

2015 में डायरिया से 1 लाख 17 हजार बच्चों की मौत
UN Digital India Library के अनुसार भारत में उपलब्ध जल और खपत के बारे में विश्वसनीय डेटा की कमी है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत के ग्रामीण इलाकों में उपलब्ध जल स्रोत में उच्च माइक्रोबियल संदूषण (High Microbial Contamination) को कम करना बड़ी चुनौती है. हर साल 3.7 करोड़ से ज्यादा भारतीय जल जनित (पानी से होने वाले रोग) बीमारियों के कारण प्रभावित होते हैं.
अनुमान के मुताबिक 2015 में 5 साल से कम आयुवर्ग के 1 लाख 17 हजार बच्चों की मृत्यु हो गई. ये मौतें देश में 5 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों की कुल मौतों 13 फीदसी है और वैश्विक स्तर पर इस आयु वर्ग में होने वाले बच्चों की मौतों का 22 फीसदी है. हर साल भारत में पानी से होने वाले रोगों के कारण 73 मिलियन कार्य दिवस का नुकसान होता है. वहीं इससे करीबन 3360 करोड़ रुपये (600 मिलियन अमेरिकी डॉलर ) का सालाना नुकसान हो रहा है.

255 जिलों में गंभीर जल संकट
विश्व जनसंख्या के मुकाबले भारत की आबादी 18 फीसदी है, जबकि जल संसाधन का महज 4 फीसदी उपलब्ध है. देश में 80 फीसदी से अधिक ग्राणीण और शहरी क्षेत्र में जल आपूर्ति भूजल से की जाती है. भारत सरकार के अधीन जल शक्ति मंत्रालय की ओर से देश भर में 255 जिलों व 1597 प्रखंडों को जल संकटग्रस्त इलाके के चिह्नित किया गया है. केंद्रीय भूजल बोर्ड के डेटा के अनुसार 2017 में देश भर में जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. डेटा के अनुसार सबसे ज्यादा गिरावट राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, और महाराष्ट्र के कई हिस्सों देखी गई है.

महज 31 फीसदी सीवेज वाटर का होता है ट्रीटमेंट
नीति आयोग का समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (2019) डेटा के अनुसार पूर्व के तीन वर्षों में मामूली सुधार के साथ, कई राज्यों में दूषित पानी ट्रीटमेंट में महत्वपूर्ण काफी अंतर हैं, जो बेहतर जल संरक्षण व प्रबंधन के लिए राज्यों की ओर से किए गए जा रहे कार्यों की निगरानी को ज्यादा सक्षम बनाता है. देश के 23 बड़े शहरों से उत्पन्न औद्योगिक व घरेलू सीवेज वाटर में से केवल 31 फीसदी का ही ट्रीटमेंट संभव हो पा रहा है. शेष जल को बिना ट्रीटमेंट के ही जल स्त्रोत में डाल दिया जाता है. इस कारण देश में जल प्रदूषण की समस्या और भी गंभीर है, जो स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के प्रयास में बड़ा अवरोध है.

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Last Updated :Oct 13, 2023, 5:22 PM IST
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