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मोटापा से हर साल 28 लाख लोग गंवाते हैं जान, महिलाओं में ज्यादा दिक्कत

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2023, 12:03 AM IST

World Anti-Obesity Day
विश्व मोटापा विरोधी दिवस

मोटापा व सामान्य से अत्यधिक वजन स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी समस्या बन चुकी है. इस कारण हर साल भारत सहित दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. जन-जागरूकता के बिना इस समस्या को रोका नहीं जा सकता है. इसको ध्यान में रखकर विश्व मोटापा रोधी दिवस मनाया जाता है. World Anti Obesity Day, World Anti Obesity Day.

हैदराबाद : एक समय था कि मोटापा और अत्यधिक वजन की समस्या को संभ्रांतों या पश्चिमी देशों की समस्या माना जाता था. अब या धारणा पूरी तरह से गलत साबित हुआ है. भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर मोटापा की समस्या गंभीर बन चुकी है. इस कारण बड़ी आबादी मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक जैसे बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं. साथ ही इन रोगों के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जा रही है. अधिक वजन और मोटापा की समस्या के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 26 नवंबर को विश्व मोटापा विरोधी दिवस मनाया जाता है. इसे विश्व मोटापा निरोधक दिवस भी कहा जाता है.

World Anti-Obesity Day
विश्व मोटापा विरोधी दिवस

वैश्विक स्तर पर मोटापा

  1. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर राजीव अहिरवार और प्रकाश रंजन मंडल की पर छपी शोध के अनुसार पूरी दुनिया में 1.9 अरब से अधिक व्यस्कों का वजन सामान्य से ज्यादा है.
  2. दुनिया में 65 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापा से ग्रसित हैं. वहीं भारत में 13.5 करोड़ से अधिक लोग मोटापे के ग्रसित हैं.
  3. मोटापा व अधिक वजन के कारण सालान दुनिया भर में 28 लाख से ज्यादा लोग जान गवां देते हैं.
  4. डॉक्टरों के अनुसार फैटी भोजन, नियमित रूप से फिजिकल गतिविधियां की कमी, स्वास्थ के प्रति जागरूकता का आभाव मोटापा व शरीर का अधिक वजनदार होने के कारण माना गया है.
  5. कई अध्ययनों में पाया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापे का प्रसार काफी अधिक है.
  6. सरकार ही नहीं आम लोगों पर मोटापे के कारण चिकित्सा व वित्तीय बोझ बढ़ जाता है.
  7. हेल्थ सेक्टर के जानकारों के अनुसार मोटापे और इसके परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाकर इस समस्या के प्रसार को रोका जा सकता है.
  8. सरकारों को मोटापा से बचाव के लिए स्वस्थ जीवन शैली के फायदे, बेहतर आहारी आदतों आदि के बारे में लोगों को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए.
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भारत में मोटापे की समस्या
भारत सरकार की ओर आम लोगों की शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य सहित विकास के अन्य मानकों पर निर्धारित समय पर अध्ययन कराया जाता है. इसी प्रकार का एक अध्ययन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 मार्च 2022 में जारी किया किया गया है. इससे पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 जारी किया गया था. एनएफएचएस-5 में एनएफएचएस-4 से भी तुलानात्म अध्ययन किया गया है.

  1. NFHS-5 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के ज्यादातर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नागरिकों में अधिक वजन या कहें मोटापा की समस्या को गंभीर बताया गया है.
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  2. राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में मोटापे की समस्या 21 फीसदी से बढ़कर 24 हो गया है.
  3. वहीं पुरुषों में मोटापे की समस्या 19 फीसदी से बढ़कर 23 फीसदी बताया गया है.
  4. केरल, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, गोवा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, पुडुचेरी और चंडीगढ़ में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं (34-46 फीसदी) अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रसित हैं.
  5. पतले पुरुषों का अनुपात शहरी क्षेत्रों (13 फीसदी) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (18 फीसदी) में अधिक है, जबकि 30 प्रतिशत पुरुष शहरी क्षेत्रों में अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोग हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 19 प्रतिशत है.
  6. पतले पुरुषों के अनुपात की बात करें तो बिहार में सबसे अधिक (22 फीसदी) है. इसके बाद मध्य प्रदेश और गुजरात (21-21 फीसदी) का स्थान है.
  7. अधिक वजन वाले या मोटे पुरुषों का अनुपात सबसे अधिक अंडमान और निकोबार द्वीप (45 फीसदी) में देखा गया है. इसके बाद पुडुचेरी (43 फीसदी) और लक्षद्वीप (41 फीसदी) का स्थान है.
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