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अफगानिस्तान में अचानक लापता हो रही हैं महिला कार्यकर्ता, 318 मीडिया संस्थान भी बंद

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Published : Feb 5, 2022, 10:06 AM IST

अफगानिस्तान में अब मानवाधिकारों के लिए आंदोलन करने वाली महिलाएं संदिग्ध हालात में लापता हो रही हैं. आरोप है कि तालिबान सरकार का विरोध करने वालों को अवैध तरीके से नजरबंद कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन और अफगानिस्तान में अमेरिका की विशेष दूत ने तालिबान से गुमशुदा महिलाओं के बारे में जानकारी मांगी है. दूसरी ओर, तालिबान की सख्ती के कारण अफगानिस्तान के 318 मीडिया संस्थान बंद हो चुके हैं.

abduction of female Afghan activists
abduction of female Afghan activists

काबुल : अफगानिस्तान में पिछले दो हफ्ते से चार महिला कार्यकर्ता संदिग्ध हालात में लापता हैं. ये सभी महिलाएं अफगान में तालिबान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल थीं. अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने गुमशुदा महिलाओं के बारे में तालिबान के आंतरिक मंत्रालय से तत्काल जानकारी मांगी है. उधर, अफगान महिलाओं के लिए अमेरिका की विशेष दूत रीना अमीरी ने कहा कि अगर तालिबान सरकार दुनिया से वैधता चाहती है, तो उसे अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए.

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, दो हफ्ते पहले महिला कार्यकर्ता तमाना परयानी और परवाना इब्राहिमखिल संदिग्ध हालात में लापता हो गईं थी. इस हफ्ते ज़हरा मोहम्मदी और मर्सल अयार नाम की दो अन्य महिला कार्यकर्ता गुमशुदा हो गईं. इसके अलावा कई सार्वजनिक हस्तियों का अता-पता नहीं है.

विरोध प्रदर्शन में शामिल रहीं महिला अधिकार कार्यकर्ता सोनिया ने टोलो न्यूज को बताया कि अफगानिस्तान में महिलाएं एक के बाद गायब हो रही हैं. कल कौन लापता हो जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है. जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है, उसे गिरफ्तार किया जा रहा है. एक अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता बहारा ने कहा कि अगर विरोध के लिए महिलाओं को हिरासत में लिया जा रहा है, तो यह अन्याय है. विरोध करना हमारा अधिकार है और हम इसे जारी रखेंगे.

अमेरिका की विशेष दूत रीना अमीरी ने इस हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि अफगानिस्तान में अन्यायपूर्ण नजरबंदी बंद होनी चाहिए. अगर तालिबान अफगान लोगों और दुनिया से वैधता चाहते हैं तो उन्हें अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने तालिबान प्रशासन से गुमशुदा महिलाओं, उनके रिश्तेदारों और अन्य कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करने की अपील की है. इस बीच, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA ) ने भी गायब महिला कार्यकर्ताओं और रिश्तेदारों को रिहा करने की अपील की है.

सबसे अधिक अखबारों को नुकसान : इसके अलावा तालिबान ने अफगानिस्तान के मीडिया संस्थानों पर भी शिकंजा कस दिया है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) के अनुसार, पिछले साल अगस्त में तालिबान के देश पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में कम से कम 318 मीडिया संस्थान बंद हो गए हैं. टोलो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है, तालिबान संकट ने अखबारों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. पहले अफगानिस्तान में 114 अखबारों का प्रकाशन होता था, अब यह संख्या 20 तक सिमट गई है.

इसके अलावा 51 टीवी स्टेशनों, 132 रेडियो स्टेशनों और 49 ऑनलाइन मीडिया संस्थानों का संचालन बंद कर दिया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान में अभी सिर्फ 2,334 पत्रकार काम कर रहे हैं जबकि अगस्त से पहले 5,069 जर्नलिस्ट कार्यरत थे.

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) के मुताबिक, नौकरी गंवाने वाले पत्रकारों में 72 फीसदी महिलाएं हैं. फिलहाल सिर्फ 243 महिलाएं ही कार्यरत हैं. IFJ महासचिव एंथोनी बेलांगर ने कहा कि तालिबान पत्रकारों को नौकरी छोड़ने या भागने के लिए मजबूर कर रहा है.

अफगान स्वतंत्र पत्रकारों के प्रमुख के प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादीदी का कहना है कि यदि देश में मीडिया की स्थिति के लिए तत्काल कदम उठाए जाते हैं, तो निकट भविष्य में अफगानिस्तान में कुछ मीडिया संगठन ही सक्रिय रह पाएंगे. अफगानिस्तान पत्रकार परिषद के प्रमुख हाफिजुल्ला बराकजई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है. बता दें कि तालिबान ने पहले घोषणा की थी कि मीडिया और सरकार का एक संयुक्त आयोग जल्द ही स्थापित किया जाएगा.

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