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यहां हाथियों से बचने के लिए 'जेल' में रहने को मजबूर हैं 400 ग्रामीण

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Published : Jun 17, 2021, 12:29 PM IST

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हाथियों का आंतक जारी है. गजराज की धमक ग्रामीणों को रतजगा करने को मजबूर करती है. हाथी खेतों में फसल बर्बाद कर देते हैं और कई बार खुद जान गंवा बैठते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हाथियों के आतंक से परेशान होकर गांववाले 'जेल' में भी जा सकते हैं. अगर नहीं तो देखिए कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक से ये रिपोर्ट...

हाथियों का आंतक
हाथियों का आंतक

रायपुर : अपराधियों को सजा देने के लिए छत्तीसगढ़ स्थित कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक के पिच्चेकट्टा में उप जेल बनाया गया, लेकिन इस नए जेल में हाथियों के उत्पात के कारण अपराधियों से पहले इलाके के ग्रामीणों को शरण लेनी पड़ रही है. पिछले 4 से 5 दिनों से 7 पारा के करीब 400 लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर उप जेल पहुंच रहे हैं और रात इसी जेल में गुजार रहे हैं.

जेल' में रहने को मजबूर हैं 400 ग्रामीण

दरअसल भानुप्रतापपुर से 10 किलोमीटर दूर पिच्चेकट्टा में एक हाथियों का दल पिछले 15 दिनों से घूम रहा है. ग्रामीण के अनुसार इस दल में 28 से 30 हाथी हैं. जो धीरे-धीरे गांव के करीब पहुंच रहे हैं. कई गांवों में हाथियों ने उत्पात भी मचाना शुरू कर दिया है. हाथी दिन के समय जंगल में आराम करते हैं और रात को गांवों में आकर फसल और घरों को नुकसान पहुंचाते हैं. लिहाजा डर के मारे ग्रामीण शाम को ही अपना घर छोड़कर उप जेल में शरण लेने पहुंच जाते हैं.

कई किलोमीटर दूर से आते हैं ग्रामीण
कई किलोमीटर दूर से आते हैं ग्रामीण

'आधी कैद' में 400 ग्रामीणों की जिंदगी

हाथियों के डर से क्षेत्र के लगभग 400 ग्रामीण निर्माणधीन उप जेल में शरण लेने को मजबूर हैं. ग्रामीण दिन के समय अपने घरों में रहते है, घरों और खेती का काम निपटाते हैं. दोपहर के बाद ही अपना खाना-बिस्तर और बच्चों के साथ निर्माणधीन उप जेल भवन पहुंच जाते हैं और यहीं रात गुजारते हैं. इसके लिए उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि कभी उन्होंने सोचा नहीं था कि उनके जीवन में ऐसे भी दिन आएंगे कि उन्हें जेल में आकर रहना पड़ेगा.

जेल बनी सहारा
जेल बनी सहारा

पढ़ें : हाथी के हमले से दो ग्रामीणों की मौत, एक बच्ची घायल

दुधमुंही बच्ची के साथ कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचती हैं जेल

पिच्चेकट्टा की ग्रामीण सरिता उइके बताती हैं कि चार-पांच दिनों से हाथियों के उत्पात से परेशान हैं इसलिए बच्चे को लेकर जेल भवन में आकर रहती हैं. बच्चा यहां परेशान होता है लेकिन उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है.

पिच्चेकेट्टा में जेल
पिच्चेकेट्टा में जेल

जेल में नहीं आती नींद'

श्याम बाई बताती हैं कि उन्हें जेल में नींद नहीं आती है. काफी बैचेनी होती है. खेती-बाड़ी का काम नहीं हो पा रहा है. हाथियों के कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. वे बताती हैं कि खाना लेकर वे यहां पहुंचते हैं. दूसरे दिन सुबह उठकर फिर अपने घर जाते हैं.

जेल में ग्रामीण
जेल में ग्रामीण

खेती-किसानी के काम पर असर

गांव के अन्य ग्रामीण बताते हैं कि मानसून आ गया है. खेती-किसानी का काम रुका हुआ है. हाथियों के डर से खेती-बाड़ी नहीं कर पा रहे हैं. रात जेल भवन में बिताने के बाद सुबह घरों में जाकर अपना घर का काम कर फिर वापस रात बिताने जेल भवन आना पड़ता है.

हाथियों को खदेड़ना काफी मुश्किल'

हाथियों की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए वन अमला भी परेशान है. DFO मनीष कश्यप ने बताया कि हाथियों के दल को खदेड़ पाना बेहद मुश्किल है. इसी वजह से वन अमला ग्रामीणों को उनके कच्चे घरों से निकालकर पक्के मकानों, भवनों में शिफ्ट कर रहा है. वन अमले की प्राथमिकता ग्रामीणों की जान बचाना है. इस वजह से ग्रामीणों को बचाने के लिए जेल भवन मुहैया कराया गया है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों का हाथियों से जो नुकसान हुआ है. उसका प्रकरण बनाकर उचित मुआवजा दिया जाएगा.

लंबे समय से 22 हाथियों का दल कांकेर और बलौदा की सीमा में मौजूद था. हफ्ते भर पहले हाथियों का झुंड भानबेड़ा में आमापारा में घुसकर रात भर उत्पात मचाने के बाद भानुप्रतापपुर के ही चिचगांव की और बढ़ गया. चिचगांव से पिच्चेकट्टा की पहाड़ी क्षेत्र में पहुंचकर हाथी उत्पात मचा रहे हैं.

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